अच्छे दिन फिर से आयेंगे
मन में जैसे भाव रहेंगे
वैसे चित्र उभर आयेंगे
जीवन की बाजी हारी तो
दुनिया में अँधियारा होगा
दिन में सूरज के रहते भी
रात अमावश जैसा होगा
फिर मत कहना अंधियारे तो
अपनी ताकत दिख लायेंगे ||
बेशक पतझड़ आ जाती है
पत्ते मुरझा कर गिर जाते
फिर भी वृक्ष खड़ा रहता है
हृदय हिन सा सीना ताने
क्योंकि आशा लिए हुए है
कोमल पत्ते फिर आयेंगे ||
बेशक खूब बवंडर आयें
बेशक धरती भी हिल जाये
कितनी विपदाएं भी आ कर
अपना ध्वंस नृत्य दिखलायें
फिर भी जीवन की बगियाँ में
सुमन बहुत से खिल जायेंगे ||
आशा और निराशाओं के
जीवन में कितने क्षण आते
दुःख और सुख की वे दोनों ही
रेखाएं अंकित कर जाते
फिर भी तो आशा रहती है
अच्छे दिन फिर से आयेंगे ||
4 comments:
अच्छी प्रस्तुति
आपके भावों को हम पहचान गये हैं!
निश्चय ही वे दिन आयेंगे।
सकारात्मक सोच को दर्शाती एक बहुत ही सुन्दर आशावादी रचना ! अच्छी दिन फिर से आयें और जल्दी आयें यही कामना है !
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