Saturday, October 20, 2012


रिज्युमे 
दाढ़ी वाले लम्बे तगड़े दो युवक मेरे मित्र भाई भरोसे लाल की दुकान पर आये । उन्होंने आते ही भाई भरोसे लाल से कहा कि 'अंकल हमे नौकरी के लिए चिठ्ठी लिखवानी है । मैं और मेरा मित्र भरोसे लाल उन की नौकरी के लिए चिठ्ठी को नही समझ सके । हम ने एक दुसरे की और देखा और वे दोनों भी समझ गये की हम मूर्ख  हैं हमारी समझ में ये भी नही आया की कहीं  भी नौकरी के लिए चिठ्ठी भेजनी पडती है भाई भरोसे लाल ने पूछा कि आप को किसी के लिए सिफारिशी चिठ्ठी लिखवानी है क्या ? बे बोले - अरे यार  अंकल नही वः चिठ्ठी जो नौकरी लगने  के लिए देनी पडती है दरखास्त । अच्छा भाई भरोसे लाल समझ गये कि ये अपना रिज्युमे  यानि विवरण बनवाना चाहते हैं परन्तु अंग्रेजी कम्पनियां विवरण कहाँ समझती हैं उन के लिए तो फ्रेंच का रिज्युमे ही चाहिए ।
भाई भरोसे लाल ने पूछा रिज्यूम बनवाना है क्या ? अब उन दोनों युवकों ने एक दुसरे की और देखा की यह रिज्यूम क्या है ? तब भाई भरोसे लाल ने बताया की नौकरी के लिए दी जाने वाली दरख्वास्त को ही भाई अब रिज्यूम कहते हैं ।तब उन्होंने कहा कि चलो तो व्ही बना दो पर बनाना बढिया सा जिस से बढिया सी नौकरी लग जाये क्यों अब हमे पुलिस ज्यादा ही तंग करने लगी है जब मर्जी आये बुलवा लेती है नौकरी लग जाएगी तो ठीक रहेगा । भरोसे लाल ने कहा कि अभी  बना देता हूँ साथ रूपये लगेंगे । तब वे बोले लाला जी आप रुपयों की चिंता मत करो साथ ही दे देंगे पर बनाना बढिया सा पर वैसे हम से कोई पैसे मांगता नही है । उन में से एक ने अपनी टी शर्ट थोड़ी सी उपर करते हुए पेंट में घुसा हुआ देसी कट्टा यानि पिस्तौल की और इशारा करते हुए कहा । भाई भरोसे लाल समझ गया की ये निश्चित ही गुंडा तत्व हैं । अब तो फंस ही गये हैं । हे भगवान जैसे तैसे शांति से निपट जाएँ बीएस । बेशक पुलिस पास ही क्यों न खड़ी हो पर वः भी इन का क्या कर  लेगी । वह  भी गुंडों से आसानी से नही उलझती है । वः तो केवल शरीफ आदमियों को तंग करने के लिए है ।
आखिर भाई भरोसे लाल चुप चाप उन का रिज्यूम बनाने में जुट गये वे बोले -  अपना नाम बताओ ?भरोसे लाल ने सहजता से पूछा तो उन दोनों ने एक दुसरे  की और देखा भरोसे लाल की उँगलियाँ कम्पुटर के की  बोर्ड पर रुक गईं  उन्होंने फिर पूछा कि भाई क्या नाम लिखूं ?
उस लडके ने कहा - उं उं ...कौन सा नाम लिखवाऊं ?
- अरे भाई नाम के है तुम्हारा ?
- अरे अंकल जी एक हो तो बताऊँ , अलग 2 शहरों की पुलिस में अलग 2 नाम दर्ज हैं या अपना गाँव वाला नाम ही बता दूं ?
अरे भाई जो मन करे वही  बता दो ।
- तो सोनू लिख  दो ।
- आगे क्या लिखूं ?
- ये आगे पीछे क्या होता है आगे पीछे कोई हो तो बताऊँ बस  सोनू लिख दो ।
- ठीक है पिता जी  का नाम बताओ ?
- पिता जी मतलब बाप का नाम बताऊं ?
 -हाँ भाई  बाप का नाम बताओ ?
 -लिखदो मेहर ।
 -भाई मेहर खान लिखूं या सिंह ?
-जो मर्जी आये लिख दो खां और सिंह से क्या फर्क पड़ता है रहेंगे तो हम हम ही वही  दस नम्बरी ।
- घर का पता बताओ ?
- इसे खाली  छोड़ दो जहाँ दरखास्त देंगे वही  का भर देंगे ।
- पढ़ाई  बताओ क्या 2 पास किया है ?
- अरे अंकल पास तो हम बहुत  कुछ हैं जेब काटने से ले कर  चोरी डैकेती अपहरण हत्या सब में पास हैं ।
- अरे भाई कोई स्कूल की पढाई  बताओ ?
-अंकल पढाई  कहाँ कर  पाए हैं पढाई  करते तो ये काम  ही क्यों  करते पढाई कर  लेते तो बड़े 2 घोटाले आराम से करते रहते पुलिस पीछे क्यों पड़ी रहती उल्टा हमे ही सलाम  मरती बस  अंग्रेजी  ही तो नही आती गिनती तो हम ने चौथी में ही सिख ली थी पर इस में दसवीं पास लिख दो क्यों भाई ठीक है न ?
उस ने अपने दोस्त की और मुखातिब होते हुए कहा तब दूसरा  यानि उस का दोस्त बोला 
- पर  तेरे पास तो पांचवीं पास का भी सटीटिकट (सर्टीफिकेट )नही है ।
ले तू भी है खूब सटीटिकट का क्या है तू बता जितनी पास का कहे बनवा दूंगा याद  है न जेल में वह  पतला सा आदमी मिला  था न वह  यही कम तो करता है पास करवा कर  लोगों को पढ़े लिखे बनवाने का उस से ही बनवा लेंगे दसवीं पास का सटीटिकट और वो तो हम से पैसे भी नही लेगा अपनी ही लाइन  का आदमी है ।
अंकल लिख दो दसवीं पास ।
- ठीक है लिख दिया ।अब बताओ  कौन 2 सी भाषाएँ  जानते हो ?
- भाषा ?
 -अरे भाई बोलियाँ   कितनी जानते हो ?
- सब जानते हैं जहाँ चले जाएँ वहीं  की बोल लेते हैं परन्तु पुलिस की बोली तो हम खूब समझते हैं और पुलिस भी हमारी बोली खूब जानती है ।
- अरे भाई हिंदी अंग्रेजी पंजाबी ऐसी बोली बताओ ।
- अंकल बताया न आप कप अंग्रेजी अति तो यहीं आते आप के पास अंग्रेजी आती तो नेता हमे दिन में ही अपने पास बुलवाया करते पर अंग्रेजी नही आती इस लिए रत में बुलाते हैं अपने काम करवाने के लिए हिंदी लिख  दो ।
- ठीक है एक्सपीरियंस बताओ ?
 -इस का मतलब ?
 -इस का मतलब है आप का क्या 2 अनुभव है ।
- अंकल अनुभव तो हमे हर चीज का है दुनिया का कोई ऐसा ताला  नही है जिसे हम खोल या तोड़ न सकें कोई गाड़ी ऐसी नही है जिसे हम खोल न लें डैकेती अपहरण आदि तो हमारे बाएं हाथ के खेल हैं ये सब अनुभव हैं ।
ये सब सुन क्र भाई भरोसे लाल बोले -भाई तुम तो बहुत महान हो तुम्हारी आवश्यकता तो पुलिस में बहुत  ठीक रहेगी तुम तो थानेदार बनने के के लिए दरखास्त दो पर कुछ और अनुभव भी बताओ ? ये तो दो पन्ने भी नही भरे ।
- अरे अंकल और अनुभव तो हमारे बहुत सारे  हैं कई 2 राज्यों की पुलिस हमारे पीछे पड़ी रहती है हमे तो हर राज्य में डैकेती का अनुभव है और ज्यादा करो तो लिख दो हमारे फोन से ही लोग हमे चुपचाप रंगदारी भेज देते हैं हम चाहे  जेल में हों या बाहर हों और आस पास की पुलिस तो हमे छेड़ने की हिम्मत  भी नही करती है वे तो बाहर की पुलिस के साथ मजबूरी में ही आते हैं और उस का भी हमे पहले ही पता चल जाता है ।
- इस में कितने पैसे तनखाह के लिखूं की कितने पर कम करोगे ?
- यह तो हम पार्टी देख कर तय  कर लेंगे कि कितने दे सकता है ?उस का दफ्तर व् गाड़ियाँ आदि देख कर  पता चल जाता है ।
- भाई और कुछ लिखना है क्या ?
अंकल यह भी लिख दो की नौकरी नही दी तो फिर देख लेना हम कौन हैं ?
आखिर जैसे तैसे भाई भरोसे लाल ने उन का विवरण यानि रिज्यूम बनया और उन के हाथ में थमा दिया बिना पैसे मांगे ही ।परन्तु फिर भी उन्होंने सौ का करार सा नोट निकल कर भाई भरोसे लाल के हाथ में थमा दिया भाई भरोसे लाल बोले की भाई दस बीस जो खुले हो वही  दे दो मेरे पास खुले पैसे नही हैं तब वः बोला - अरे अंकल आप भी कैसी बात करते हो हम भी तो आप के बच्चे हैं आप इस में से भी क्या वापिस देंगे इसे रखो अपने पास इस में से भी क्या वापिस दोगे  । तब भाई भरोसे लाल बोले की भाई बच्चे ही हो तो फिर तुम से क्या लेना तुम ही रख लो ।भरोसे लाल ने सोचा की कहीं सौ के पांच  सौ न मांगने लगें इन का क्या है तब दोनों बोले नही अंकल जी रहने दो कम हों तो बताओ और दें और वे उस रिज्यूम को ले कर वहन से चलते बने ।
उन के जाने  के बाद भाई भरोसे लाल ने उन का दिया हुआ सौ का करार नोट ध्यान से देखा उस में गाँधी जी तो थे पर उन का चश्मा गायब था यानि सौ का नोट एक दम  सौ प्रतिशत नकली था जिन से उन की जेब भरी हुई थी जिन में पांच सौ के नोट ही ज्यादा थे परन्तु फिर भी गनीमत रही कि वे गल्ले के पैसे छीन कर नही ले गये व बदतमीजी नहीकी ये क्या कम है नही तो गला पकड़ते और सारे पैसे भी छीन ले जाते बेचार  बड़े भले थे एक दम शरीफ व बड़े आदमियों के जैसे ।
भरोसे लाल के हाथ में वही  करार सा नोट था कभी वह  उसे देखता और कभी कम्प्यूटर में दिख रही अपनी  मुरझाई शक्ल को पर वह अब इस नोट का क्या करे पुलिस को दे या फाड़ कर फैंक दे इसे ले कर यदि वह पुलिस के पास गया तो पुलिस उसे ही वहीं  बैठा लेगी और नकली मुद्रा के कानून में फंसा देगी या उलटे उसे ही और पैसे देने पड़  जायेंगे पर पुलिस को न बताना भी तो अपराध है भरोसे लाल के माथे पर पसीना आ गया कि  वह अब क्या करे क्यों की वह भी तो एक शरीफ व् इज्जतदार इन्सान है ।
डॉ वेद व्यथित 
अनुकम्पा - 1577 सेक्टर -3 
फरीदाबाद 121004 
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