Wednesday, December 11, 2013

फ़िरदौस ख़ान ने किया वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद.

यह उर्दू जगत की महान पत्रकार शख्शियत मेरी बहन फिदौस खान कि रचना है यह उन का अद्वितीय कार्य है उन्हें साधू वाद देता हूँ

फ़िरदौस ख़ान ने किया वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद... 
-सरफ़राज़ ख़ान
लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जानी जाने वाली स्टार न्यूज़ एजेंसी की संपादक फ़िरदौस एवं युवा पत्रकार फ़िरदौस ख़ान ने वंदे मातरम का पंजाबी में अनुवाद किया है. वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गीत है. इसकी रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने की थी. अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेज़ी में और वरिष्ठ साहित्यकार मदनलाल वर्मा क्रांत ने वंदे हिन्दी में अनुवाद किया था. भाजपा नेता आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया. गीत के प्रथम दो पद संस्कृत में तथा शेष पद बांग्ला में हैं. राष्ट्रकवि रबींद्रनाथ ठाकुर ने इस गीत को स्वरबद्ध किया था. भारत में पहले अंतरे के साथ इसे सरकारी गीत के रूप में मान्यता मिली है. इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा कर इसकी धुन और गीत की अवधि तक संविधान सभा द्वारा तय की गई है, जो 52 सेकेंड है. 

वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद
ਮਾਂ ਤੈਨੂੰ ਸਲਾਮ 
ਤੂੰ ਭਰੀ ਹੈ ਮਿੱਠੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ਼
ਫਲ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਮਹਿਕ ਸੁਹਾਣੀ ਨਾਲ਼
ਦੱਖਣ ਦੀਆਂ ਸਰਦ ਹਵਾਵਾਂ ਨਾਲ਼ 
ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀਆਂ ਸੋਹਣੀਆਂ ਫ਼ਿਜ਼ਾਵਾਂ ਨਾਲ਼ 
ਮਾਂ ਤੈਨੂੰ ਸਲਾਮ… 

ਤੇਰੀਆਂ ਰਾਤਾਂ ਚਾਨਣ ਭਰੀਆਂ ਨੇ
ਤੇਰੀ ਰੌਣਕ ਪੈਲ਼ੀਆਂ ਹਰੀਆਂ ਨੇ
ਤੇਰਾ ਪਿਆਰ ਭਿੱਜਿਆ ਹਾਸਾ ਹੈ
ਤੇਰੀ ਬੋਲੀ ਜਿਵੇਂ ਪਤਾਸ਼ਾ ਹੈ
ਤੇਰੀ ਗੋਦ 'ਚ ਮੇਰਾ ਦਿਲਾਸਾ ਹੈ
ਤੇਰੇ ਪੈਰੀਂ ਸੁਰਗ ਦਾ ਵਾਸਾ ਹੈ
ਮਾਂ ਤੈਨੂੰ ਸਲਾਮ… 
-ਫ਼ਿਰਦੌਸ ਖ਼ਾਨ   

मातरम का पंजाबी अनुवाद (देवनागरी में)
मां तैनूं सलाम
तूं भरी है मिठ्ठे पाणी नाल
फल फुल्लां दी महिक सुहाणी नाल
दक्खण दीआं सरद हवावां नाल
फ़सलां दीआं सोहणिआं फ़िज़ावां नाल
मां तैनूं सलाम…

तेरीआं रातां चानण भरीआं ने
तेरी रौणक पैलीआं हरीआं ने
तेरा पिआर भिजिआ हासा है
तेरी बोली जिवें पताशा है
तेरी गोद ’च मेरा दिलासा है
तरी पैरीं सुरग दा वासा है
मां तैनूं सलाम…
-फ़िरदौस ख़ान

वंदे मातरम का पंजाबी अनुवाद (रोमन में)
Ma tainu salam
Tu bhri hain mithe pani naal
Phal phulaan di mahik suhaani naal
Dakhan dian sard hawawaan naal
Faslan dian sonia fizawan naal
Ma tainu salam...

Tarian raatan chanan bharian ne
Teri raunak faslan harian ne
Tera pyaar bhijia hasa hai
Teri boli jiven patasha hai
Teri god 'ch mera dilaasa hai
Tere pairin surg da vasa hai
Ma tainu salam...
-Firdaus Khan

फ़िरदौस ख़ान पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं. वह कई भाषाओं की जानकार हैं. उन्होंने दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं. उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया. ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है. उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनल के लिए एंकरिंग भी की है. वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं. प्रभात प्रकाशन समूह से उनकी 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' नाम से एक किताब भी प्रकाशित हो चुकी है.  इसके अलावा वह डिस्कवरी चैनल सहित अन्य टेलीविज़न चैनलों के लिए स्क्रिप्ट लेखन भी करती हैं. उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है. इसके अलावा कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं. कई बरसों तक उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली. उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है. वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं. फ़िलहाल वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं. 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॊर्टल भी हैं.

Monday, May 20, 2013

नव गीतिका



नव गीतिका 
यह रचना गजल नही है 
रौशनी कैद है और परेशान  है 
अब जमाने की ये ही तो पहचान है । 
हाँ मैं हाँ बस  करो और कुछ न कहो 
फिर तो सब से  भले आप  इन्सान हैं। 
भूल कर भी उठाया यदि प्रश्न तो 
आप इन्सान कब आप हैवान हैं । 
भूल जाओ यहाँ सच बड़ी चीज है 
संच कहने से मिलता नही मान है ।
आँख भी बंद हो , कान मुंह बंद हो 
फिर तो बन जाओगे आप परधान है। 
झूठ ही तुम कहो जोर से पर कहो 
मान लेंगे उसे लोग सच बात है ।
इस जमाने का कैसा ये दस्तूर है 
पूजते हैं उसे जो की बदमाश है । 
आप बच्चों के जैसे न बातें करें 
जिस से पूरा हो स्वारथ वो भगवान है । 
इस जमाने से कैसे लड़ोगे भला 
सांच अब न यहाँ  कोई हथियार है ।।   
डॉ वेद व्यथित 
09868842688 

Wednesday, April 10, 2013

शुभकामनायें

सभी मित्रों को शत्रुओं को अपनों को परायों को भारतीय नव वर्ष २ ० ७ ० की मेरी हार्दिक शुभकामनायें हैं । कृपया स्वीकार कर  के अनुग्रहित करें । 
ईश्वर इस वर्ष में आप को सभी सफलताएं प्रदान करें । आप की सत  मनोकामनाएं पूर्ण हों । आप के श्तुओं का विनाश हो । आप हर प्रकार से सुखी हों । 
डॉ वेद व्यथित 
09868842688 

Tuesday, March 26, 2013

होलिका उत्सव की मैं सभी मित्रों को शुभकामनायें प्रदान करता हूँ । साथ ही भक्त प्रहलाद के सत्याग्रह का स्मरण भी करवान चाहता हूँ की किस प्रकार असत्य से छोटे से बालक ने संघर्ष किया वह  अनुकरणीय है ईश्वर स्मरण ही होलिका उत्सव का मुख्य उद्देश्य और महातम है परन्तु आज केवल बुराइयां ही उत्सव मनाने का केंद्र बिंदु बन गईं हिं क्या यही उत्सव की पवित्रिता  है नही है इस से यह पवन पर्व अपावन हो जायेगा इस लिए पवन पर्व को हम पावन रीति से सम्पन्न करने ।
 शुभकामनायों सहित 
वेद व्यथित 

'हम कलम ' साहित्यिक  व् सांस्कृतिक संस्था की इस मास की  गोष्ठी होलीका पर्व को समर्पित रही । होलिका  उत्सव के उल्लास में डॉ  मृदुला सिन्हा ने बिहार के लोक जीवन में रचे बसे लोक  गीत ' फागुन में बुढवा  देवर लगे ' गुनगुना कर वातावरण को उल्लसित कर  दिया । डॉ वेद  प्रताप वैदिक ने इस अवसर पर सभी उपस्थित साहित्यकारों को अपनी शुभकामनायें प्रदान की । डॉ रमा सिंह ने होली के गीत सुना  कर सब को भाव विभोर कर दिया । व्यंगकार निशा भार्गव  ने अपने चिर परिचित अंदाज में व्यंग पढ़े । डॉ वेद  व्यथित ने रीतिकाल और उत्तर आधुनिक कल के माध्यम से अपना व्यंग प्रस्तुत किया । डॉ सुनीति रावत ,डॉ अमरनाथ अमर ,क्रांति वत्स 'डॉ रश्मि मल्होत्रा डॉ अर्चना त्रिपाठी डॉ  प्रभा किरन  जैन , प्रतिभा जौहरी जनक  सचदेव प्रवेश धवन  आभा कुल श्रेठ  प्रवेश धवन     आदि की  गोष्ठी में सार्थक  उपस्थिति रही  । डॉ संतोष गोयल  गोष्ठी का सफल संचालन किया  । 
2 attachments — Download all attachments   View all images   Share all images  
DSCN2888.jpgDSCN2888.jpg
1608K   View   Share   Download  
DSCN2890.jpg