Friday, May 27, 2011

अच्छे दिन फिर से आयेंगे

अच्छे दिन फिर से आयेंगे

मन में जैसे भाव रहेंगे
वैसे चित्र उभर आयेंगे

जीवन की बाजी हारी तो
दुनिया में अँधियारा होगा
दिन में सूरज के रहते भी
रात अमावश जैसा होगा

फिर मत कहना अंधियारे तो
अपनी ताकत दिख लायेंगे ||

बेशक पतझड़ आ जाती है
पत्ते मुरझा कर गिर जाते
फिर भी वृक्ष खड़ा रहता है
हृदय हिन सा सीना ताने

क्योंकि आशा लिए हुए है
कोमल पत्ते फिर आयेंगे ||

बेशक खूब बवंडर आयें
बेशक धरती भी हिल जाये
कितनी विपदाएं भी आ कर
अपना ध्वंस नृत्य दिखलायें

फिर भी जीवन की बगियाँ में
सुमन बहुत से खिल जायेंगे ||

आशा और निराशाओं के
जीवन में कितने क्षण आते
दुःख और सुख की वे दोनों ही
रेखाएं अंकित कर जाते

फिर भी तो आशा रहती है
अच्छे दिन फिर से आयेंगे ||

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी प्रस्तुति

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपके भावों को हम पहचान गये हैं!

प्रवीण पाण्डेय said...

निश्चय ही वे दिन आयेंगे।

Sadhana Vaid said...

सकारात्मक सोच को दर्शाती एक बहुत ही सुन्दर आशावादी रचना ! अच्छी दिन फिर से आयें और जल्दी आयें यही कामना है !