रास्ते
रास्तों के साथ
कहाँ तक चलोगे आखिर
क्योंकि रास्ते
खत्म नही होते हैं कभी
जैसे कहा गया है कि
भोगों को हम नही भोगते हैं
अपितु भोग ही हमें
भोग लेते हैं
ऐसे ही रास्ते
कभी खत्म नही होते
अपितु हम ही
खत्म हो जाते हैं
उन के खत्म होने से पहले ||
4 comments:
भोगों में स्वाहा होने के पहले, अपना पंथ खोज ले हम।
विचारणीय रचना ..
सच कहा…………सार्थक रचना।
सही कही।
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