Monday, April 11, 2011

भगवान श्री राम

भगवान श्री राम के जन्मोत्सव पर आप सब को हार्दिक शुभकामनायें
मैं इस अवसर पर प्रार्थना करता हूँ कि देश से दुष्टों का विनाश हो सब सुखी व सम्पन्न हूँ राम राज्य की स्थापना हो उस के लिए हम सब मिल कर काम करें

मुक्तक

किस ने देखा राम ह्र्दय कि घनीभूत पीड़ा को

कह भी जो ने सके किसी से उस गहरी पीड़ा को

क्या ये सब सेवा के बदले मिला राम के मन को

आदर्शो पर चल कर ही तो पाया इस पीड़ा को||



मन करता है राम तुम्हारे दुखका अंश चुरा लूं
पहले ही क्या कम दुख झेले कैसे तुम्हे पुकारू

फ़िर भी तुम करुणाके सागर बने हुये हो अब भी

पर उस करुणा में कैसे मै अपने कष्ट मिला दू||



किस से कह्ते व्यथा राम मन जो उन के उभरी

जीवन लीला कैसे २ आदर्शों मे उलझी
इस से ही तो राम २ है राम नही कोइ दूजा

बाद उन्होके धर्म आत्मा और नही कोइ उतरी||



दो सान्सो के लिये जिन्दगी क्या २ झेल गई थी

पर्वत से टकरा सीने पर क्या २ झेल गई थी

पर जब आसू गिरे धरा बोझिल हो उन से डोली
वर्ना देवी सीता जैसी क्या २ झेल गई थी

2 comments:

Narendra Vyas said...

रामनवमी के शुभ अवसर पर बेहद ही सुखद और आस्था को मज़बूत करती आपकी ये रचना पढ़कर रोम-रोम में राम नाम और उनके त्याग और मर्यादा के प्रति समर्पण प्रगाढ़ हुआ. आपका बहुत आभार सम्मानीय वेद जी. प्रणाम ! रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

प्रवीण पाण्डेय said...

राम की पीड़ा देख सहज ही अश्रु आ जाते हैं, इतने कठिन आदर्श स्थापित करने की शक्ति और किसी में थी ही नहीं।