रोज रोज शाजिश होती है यहाँ देश के साथ
लगता है वो मिले हुए हैं गद्दारों के साथ
इसी लिए उन की ही भाषा बोल रहे हैं उल्लू
गठ्बन्धन हो चुका है उन का आतंकी के साथ
देश के टुकड़े करने की ये मांग रहे आजादी
जितनी मिलती छूट और करते दुगनी बर्बादी
फिर भी बिके हुए ये नेता उन के गुण गाते हैं
बेशक हमला करें और वे पत्थर बरसाते हैं
जैसे भी हो दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहना
बेशक करना पड़े किसी भी दुश्मन से समझौता
पर कुर्सी पर आंच नही कैसे भी आने पाए
देश लूटे लुट जाये उन्हें क्या इस से लेना देना
यदि देश के लिए कोई भी अच्छा काम करेगा
अमित शाह की तरह जेल में पानी खूब भरेगा
क्योंकि आतंकी को उस ने कहते हैं मरवाया
गद्दारों ने आतंकी हित इतना शोर मचाया
सब को है ये पता किइशरत आतंकी लौंडी थी
सब को पता चली है उस कीकहाँ बंधी डोरी थी
पर उस के मरने पर भी ये हंगामा करते हैं
लगता है इन की भी माँ तो उन के संग सोई थी
आतंकी चाहे कैसा हो ये उस के गुण गएँ
करें देश पर भी हमला वो फिर भी भले कहाएँ
बेशक आतंकी हो या फिर अंदर वर्ल्ड सरगना
कौशिश ये करते हैं उन्हें आंच न कोई आये
3 comments:
गठ्बन्धन हो चुका है उन का आतंकी के साथ
...बस यही सब चल रहा है देश में.
बहुत बढ़िया सामयिक रचना है। सही लिखा है....
Dr.Sahab,
This is the real fact of the day. Every where we find such type of currupt politician/beaurocracy.
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