बेशक तूने दुनिया देखी
पर पहले खुद को तो देख
क्या रखा है उन महलों में
पहले अपने घर को देख
देख इया होगा जग सारा
पर अपनी दुनिया तो देख
क्या बतलाऊँ तुझ को रे मन
सब कुछ अपने अंदर देख
कितनी दूर देख पायेगा
केवल अपनी जद में देख
कितना ऊँचा उड़ पायेगा
पहले इन पंखों को देख
करने को कुछ भी तू कर ले
पर करने से पहले देख
क्या २ मैंने शं कर लिया
मेरे इन जख्मों को देख
ये बातें तो ठीक नही हैं
देख रही है दुनिया देख
क्या कहना है तुम को उन से
पहले अपने दिल में देख
पैर बढ़ाना तब आगे को
पहले अपनी चादर देख
बड़ी बात कहने से पहले
नीला अम्बर सिर पर देख
यों तो कुछ भी खले बेशक
पर उस का मतलब तो देख
व्यथा तो दुनिया देती ही है
व्यथित यहाँ पर ये मत देख
1 comment:
बहुत सुन्दर! उचित विश्लेषण करती रचना
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