Sunday, August 29, 2010

किसान आन्दोलन के पक्ष में

ये धरती का चीर हरन है अधिग्रहण या कुछ कह लो
माँ के सीने में खंजर है चाहे इस को कुछ कह लो
माँ की छाती से ही शिशु को यदि अलग कर दोगे तो
ये तो उस हत्या ही है चाहे इस को कुछ कह लो

उस की रोटी छीन रहे जो सब को रोटी देता है
ये उस की हत्या की सजिश सब को जो जीवन देता
यदि कृषक से उस की भूमि ही हथिया ली जाएगी
तो सुन लो ए देश वासियों जल्द गुलामी आएगी

माँ की कीमत क्या पैसों से कहीं चुकाई जा सकती
धरती तो किसान की माँ है क्या बिकवाई जा सकती
यदि यह नौबत आई तो ये किसान की हत्या है
बेटे की हत्या से माँ क्या खुश रखवाई जा सकती

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