Saturday, August 14, 2010

वन्दे मातरम

साल तरेसठ बीत गये हैं अब भी भ्रम में जीते हैं
कहने को आजाद हुए हैं मन ही मन खुश होते हैं
पर आजादी मिली कहाँ है सत्ता का हस्तान्तर है
बेशक खुश हो कर कहते हम आजादी में जीते हैं

पहले पाकिस्तान बनाया फिर सारी तिब्बत दे दी
दे उन को कश्मीर का हिस्सा सारी ही इज्जत दे दी
फिर समझौता कर शिमला में स्वाभिमान भी दे डाला
लगता है इस कांग्रेस ने फिर से वही आग दे दी

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

सटीक !बहुत गहरी चोट की है।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

सांस का हर सुमन है वतन के लिए
जिन्दगी एक हवन है वतन के लिए
कह गई फ़ांसियों में फ़ंसी गरदने
ये हमारा नमन है वतन के लिए

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं