Sunday, October 31, 2010

भीड़ के लोग

जलसा ,जूलूस या भीड़ के
आखरी छोर से नारा लगाने वाले
ढोते रहेंगे इसी तरह नारों को
वे करते रहेंगे जय २ कार इसी भांति
और इसी तरह धकियाते जाते रहेंगे
और खाते रहेंगे झिडकियां
तथा तुड़वाते रहेंगे
अपने हाथ पैर या सिर
औरों के लिए
क्योंकि वे बस भीड़ है या
भीड़ के लिए लाये गये लोग

2 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

सुन्दर कविता ..

vandana gupta said...

औरों के लिए
क्योंकि वे बस भीड़ है या
भीड़ के लिए लाये गये लोग
बिल्कुल सही कहा……………भीड सिर्फ़ प्रयोग की वस्तु होती है।