जीवन की बाजी को
जीतने का हर दाव
पता नही क्यों उलटा पड़ जाता है
और फिर बार २
कोशिश करते हैं
जीतने के लिए दाव फैंकने की
परन्तु पता नही
जिन्दगी कि बिसात में
ऐसा क्या जादू है
जो उल्टा कर देती है हर दाव को
बेशक -
हर दाव चलते हुए
लगता है जीता हुआ सा ही
परन्तु भ्रम होता है यह
और आखिर सब कुछ
हार बैठते हैं हम
1 comment:
jiwan ke yatharth ko abhivyakt karti kavita.. bahut sunder
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