Sunday, July 31, 2011

त्रि पदी

भूले कब जाते हैं
जो याद बहुत आते
वे खूब सताते हैं |

जो खूब सताते हैं
वे याद बहुत आते
पर भूले जाते हैं ||

कैसे उन को भूलूँ
हैं साँस वह मेरी
कैसे उन को भूलूँ ||

भूलों को जरा कह दो
वे याद रहें मुझ को
ये बात उन्हें कह दो ||

यह बात जरूरीहै
यह याद रहेगी ही
यह भूल ही ऐसी है ||

कुछ भूलें मीठी हैं
इन्हें भूल नही सकते
वे हर पल मीठी हैं ||

वह बात अभी भी है
वह भूल नही भूली
वह याद अभी भी है ||

भूलों को नही भूलें
फिर भूल नही होगी
कहे को उन्हें भूलें ||

भूलों को यदि भूलें
फिर भूल करेंगे हम
उन को न कभी भूलें ||

धोड़ा सा अंतर है
यादों और भूलों में
पर अंदर दोनों हैं ||

भूलों को भूल गये
यह बात नही जमती
क्यों खुद को भूल गये ||

इस मन के झरोखे में ||
यादों के झरोखे में
कुछ भूल तो होंगी ही

5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अद्भुत और रहस्यवादी।

Dr Varsha Singh said...

लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...

Anju (Anu) Chaudhary said...

जो याद बहुत आते है
वही इस जीवन में
आंसू दे जाते है


इस माया के संसार में
अपने कहीं खो जाते है
वही तो याद आते है

इस से अच्छी टिपण्णी ओर कुछ नहीं सूझी ............जो मै इस त्रि पदी में दे पाती ............आभार

अविनाश वाचस्पति said...

Bhulon ke jhhule me itna jhhulaya aapne ki main sab kuchh bhool gaya.

Mridula Ujjwal said...

sunder