जनसहयोग वैल्फयर असोशियेशन दो के ब्लोकफरीदाबाद के भव्य भवन में भारतीय विक्रमी नव सम्वत २०६७के शुभारम्भ पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस में विभिन संस्थाओं के प्रतिनिधियों की सहभागिता रही कार्यक्रम की अध्यक्षता की वयोवृद्ध शिक्षाविद व संस्था के चैयरमैन श्री के० एल० मक्कड़ जी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे मूर्धन्य साहित्यकार व भारतीय साहित्य कार संघ के अध्यक्ष डॉ वेद व्यथित एवं कारगिल जंग के योधामेजर विजय कुमार तथा प्रिंसिपल व कवयित्री डॉ. नर्गिशखामोश इस में मुख्य अतिथि थे
कार्यक्रम में विक्रमी नव सम्वत पर प्रकाश डालते हुए डॉ. वेद व्यथित ने इस की वैज्ञानिकता व एतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के शासन में न तो कोई कर्जदार था न ही कोई सताया जा सकता था यह राजा का दायित्व था की वह अपनी प्रजा के कुशल क्षेम का ध्यान अपने सुख छोड़ कर भी करे यह राजा की ही जिम्मेदारी थी की कोई उस के राज्य में भूखा न सोये कोई दुखी न हो कोई किसी के अधिकारों का हनन न करे ये सब उत्तरदायित्व राजा के थे जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया था
इस के अतिरिक्त ज्ञान के प्रसार व प्रचार के लिए भी सम्राट विक्रमादित्य ने विशेष व्यवस्था की थी जिस का प्रमाण आज भी हमे बहुत सी पुस्तकों में मिलता है उन के बारे अरब देश में स्वर्ण पत्र पर लिखी गई कविता देखने योग्य है जो इस प्रकार है :
इत्त्रशाफई स्नातूल विक्र्मतूल फहलामिन क्रिमून य्र्ताफिया वयोव्सरू ..................बिल अमर विक्र्मतून
इस का हिंदी भाव ये है :
वे लोग धन्य हैं जो राजा विक्रम के शासन में पैदा हुए वह दानी धार्मिक और प्रजा पालक था उस समय हमारे अरब परमात्मा को भूल कर सांसारिक आनन्द प्राप्त करने में लगे थे वे कपट को गुण समझते थे हमारे लोग मूर्खता में जकड़े हुए थे परन्तु अब उदार राजा विक्रम की कृपा से आनन्दमाय प्रभात का उदय हुआ वह हम विदेशियों को भी अपनी दया से वंचित नही रखता उस ने अपने प्रतिठित विद्वान् जो सूर्य के समान प्रकाशमान थे हमारे लिए ज्ञान देने को भेजे जिस से हमारी भूमि में दिव्य मार्ग आलोकित हुआ
ये सम्राट विक्रमादित्य की विशेषताए थीं जिन्हें हम भूलते जा रहे है
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए भाटिया सेवक समाज के अध्यक्ष सरदार मोहन सिंह भाटिया के कहा की आज भारतीय संस्कृति पर चारों ओर से खतरा मंडरा रहा है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है
खत्री बिरादरी के वयोवृद्ध संरक्षक श्री सुंदर दासखत्री ने इस अवसर पर नैतिक बातों को दोहराते हुए नव सम्वत पर उन का अनुसरण करने पर जोर दिया संस्था के चैरमैन श्री के एल मक्कड़ ने इन कार्यक्रमों के आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला तथा आगामी पीढ़ियों के लिए इसे हस्तांतरित करने पर जोर दिया
समारोह में गोसाईं भूषण बाली , भीम सैन बहल पार्षद राजेश भाटिया लाजपत राय चंदना प्राध्यापक पवन सिंहशिक्षाविद श्रीमती सरोज खत्री श्रीमती राधा नरूला तथा ममेंद्र शर्मा आदि समाज के गन मान्य जन बड़ी संख्या में उपस्थित हुए संस्था के अध्यक्ष सतीश खत्री ने आगुन्तकों का आभार व्यक्त किया व इस तरह के आयोजन निंतर करने का संकल्प लिया
कार्य कर्म का सफलतम संचालन किया संस्था के महा सचिव भारत भूषण अरोड़ा ने जिस की सब ने सराहना की
अंत में प्रसाद वितरण के उपरांत कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई
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सफल आयोजन पर हार्दिक बधाईयां
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