Wednesday, December 5, 2012

महा अभियोग 

उस पर निरापराध होने का 
अभियोग लगा 
पुलिस ने तफ्शीश शुरू की 
बहुत साक्ष्य जुटाए गये 
उस का टूटा मकान 
व न  कोई वाहन  न अवैध हथियार 
न कोई कीमती सामान 
जमानत के लायक भी 
भी नही थे कागजात 
और उस ने कर लिया था 
जुर्म का इक़बाल 
अब मुकद्दमा शुरू हुआ 
तारीख पर तारीख 
शुरू हुई 
गवाह पेश हुए 
सभी ने उस के
 निरापराध होने की गवाही दी 
एक दो गवाहों  ने
 मुकरने की कोशिश भी की 
परन्तु बात नही बनी 
आखिर उस पर अभियोग सिद्ध हुआ 
निर्णय स्थगित भी नही हुआ 
तुरंत सुना दिया गया 
सच्चाई की लड़ाई के लिए 
उसे काले पानी की सजा हुई 
लोगों ने फब्तियां कसीं 
-बड़ा बन रहा था 
ईमानदार की दुम 
ले लिया फल 
अब पता चल जायेगा 
जब जेल में जिन्दगी बिताएगा 
ईमानदारी का पूरा फल पायेगा ।।

Friday, November 9, 2012


 ॐ

तमसो माँ ज्योतिर्गमय 
भारतीय संस्कृति की उद्घोषणा तम  से प्रकाश की और बढ़ें  ,के साथ
आओ मिल कर प्रकाश पर्व मनाएं 
इस शुभ अवसर पर
आप को सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें प्रदान 
करता हूँ 
कृपया स्वीकार करें 

मन दीप सजाया है 
दीवाली आई है 
खुशियों का उजाला है ।

दीपों का उत्सव है 
तुम्हें खुशियाँ  खूब मिलें 
मेरा ऐसा मन है ।

मन दीपक हो जाये 
अंधियारे दूर रहें 
उजियारा हो जाये ।

मन दीपक हो जाये 
खुशियों से भरे झोली 
सब खुशियाँ मिल जाएँ ।
निवेदक 
डॉ वेद व्यथित 
अनुकम्पा - 1577 सेक्टर 3 
फरीदाबाद 
09868842688

Saturday, October 20, 2012


रिज्युमे 
दाढ़ी वाले लम्बे तगड़े दो युवक मेरे मित्र भाई भरोसे लाल की दुकान पर आये । उन्होंने आते ही भाई भरोसे लाल से कहा कि 'अंकल हमे नौकरी के लिए चिठ्ठी लिखवानी है । मैं और मेरा मित्र भरोसे लाल उन की नौकरी के लिए चिठ्ठी को नही समझ सके । हम ने एक दुसरे की और देखा और वे दोनों भी समझ गये की हम मूर्ख  हैं हमारी समझ में ये भी नही आया की कहीं  भी नौकरी के लिए चिठ्ठी भेजनी पडती है भाई भरोसे लाल ने पूछा कि आप को किसी के लिए सिफारिशी चिठ्ठी लिखवानी है क्या ? बे बोले - अरे यार  अंकल नही वः चिठ्ठी जो नौकरी लगने  के लिए देनी पडती है दरखास्त । अच्छा भाई भरोसे लाल समझ गये कि ये अपना रिज्युमे  यानि विवरण बनवाना चाहते हैं परन्तु अंग्रेजी कम्पनियां विवरण कहाँ समझती हैं उन के लिए तो फ्रेंच का रिज्युमे ही चाहिए ।
भाई भरोसे लाल ने पूछा रिज्यूम बनवाना है क्या ? अब उन दोनों युवकों ने एक दुसरे की और देखा की यह रिज्यूम क्या है ? तब भाई भरोसे लाल ने बताया की नौकरी के लिए दी जाने वाली दरख्वास्त को ही भाई अब रिज्यूम कहते हैं ।तब उन्होंने कहा कि चलो तो व्ही बना दो पर बनाना बढिया सा जिस से बढिया सी नौकरी लग जाये क्यों अब हमे पुलिस ज्यादा ही तंग करने लगी है जब मर्जी आये बुलवा लेती है नौकरी लग जाएगी तो ठीक रहेगा । भरोसे लाल ने कहा कि अभी  बना देता हूँ साथ रूपये लगेंगे । तब वे बोले लाला जी आप रुपयों की चिंता मत करो साथ ही दे देंगे पर बनाना बढिया सा पर वैसे हम से कोई पैसे मांगता नही है । उन में से एक ने अपनी टी शर्ट थोड़ी सी उपर करते हुए पेंट में घुसा हुआ देसी कट्टा यानि पिस्तौल की और इशारा करते हुए कहा । भाई भरोसे लाल समझ गया की ये निश्चित ही गुंडा तत्व हैं । अब तो फंस ही गये हैं । हे भगवान जैसे तैसे शांति से निपट जाएँ बीएस । बेशक पुलिस पास ही क्यों न खड़ी हो पर वः भी इन का क्या कर  लेगी । वह  भी गुंडों से आसानी से नही उलझती है । वः तो केवल शरीफ आदमियों को तंग करने के लिए है ।
आखिर भाई भरोसे लाल चुप चाप उन का रिज्यूम बनाने में जुट गये वे बोले -  अपना नाम बताओ ?भरोसे लाल ने सहजता से पूछा तो उन दोनों ने एक दुसरे  की और देखा भरोसे लाल की उँगलियाँ कम्पुटर के की  बोर्ड पर रुक गईं  उन्होंने फिर पूछा कि भाई क्या नाम लिखूं ?
उस लडके ने कहा - उं उं ...कौन सा नाम लिखवाऊं ?
- अरे भाई नाम के है तुम्हारा ?
- अरे अंकल जी एक हो तो बताऊँ , अलग 2 शहरों की पुलिस में अलग 2 नाम दर्ज हैं या अपना गाँव वाला नाम ही बता दूं ?
अरे भाई जो मन करे वही  बता दो ।
- तो सोनू लिख  दो ।
- आगे क्या लिखूं ?
- ये आगे पीछे क्या होता है आगे पीछे कोई हो तो बताऊँ बस  सोनू लिख दो ।
- ठीक है पिता जी  का नाम बताओ ?
- पिता जी मतलब बाप का नाम बताऊं ?
 -हाँ भाई  बाप का नाम बताओ ?
 -लिखदो मेहर ।
 -भाई मेहर खान लिखूं या सिंह ?
-जो मर्जी आये लिख दो खां और सिंह से क्या फर्क पड़ता है रहेंगे तो हम हम ही वही  दस नम्बरी ।
- घर का पता बताओ ?
- इसे खाली  छोड़ दो जहाँ दरखास्त देंगे वही  का भर देंगे ।
- पढ़ाई  बताओ क्या 2 पास किया है ?
- अरे अंकल पास तो हम बहुत  कुछ हैं जेब काटने से ले कर  चोरी डैकेती अपहरण हत्या सब में पास हैं ।
- अरे भाई कोई स्कूल की पढाई  बताओ ?
-अंकल पढाई  कहाँ कर  पाए हैं पढाई  करते तो ये काम  ही क्यों  करते पढाई कर  लेते तो बड़े 2 घोटाले आराम से करते रहते पुलिस पीछे क्यों पड़ी रहती उल्टा हमे ही सलाम  मरती बस  अंग्रेजी  ही तो नही आती गिनती तो हम ने चौथी में ही सिख ली थी पर इस में दसवीं पास लिख दो क्यों भाई ठीक है न ?
उस ने अपने दोस्त की और मुखातिब होते हुए कहा तब दूसरा  यानि उस का दोस्त बोला 
- पर  तेरे पास तो पांचवीं पास का भी सटीटिकट (सर्टीफिकेट )नही है ।
ले तू भी है खूब सटीटिकट का क्या है तू बता जितनी पास का कहे बनवा दूंगा याद  है न जेल में वह  पतला सा आदमी मिला  था न वह  यही कम तो करता है पास करवा कर  लोगों को पढ़े लिखे बनवाने का उस से ही बनवा लेंगे दसवीं पास का सटीटिकट और वो तो हम से पैसे भी नही लेगा अपनी ही लाइन  का आदमी है ।
अंकल लिख दो दसवीं पास ।
- ठीक है लिख दिया ।अब बताओ  कौन 2 सी भाषाएँ  जानते हो ?
- भाषा ?
 -अरे भाई बोलियाँ   कितनी जानते हो ?
- सब जानते हैं जहाँ चले जाएँ वहीं  की बोल लेते हैं परन्तु पुलिस की बोली तो हम खूब समझते हैं और पुलिस भी हमारी बोली खूब जानती है ।
- अरे भाई हिंदी अंग्रेजी पंजाबी ऐसी बोली बताओ ।
- अंकल बताया न आप कप अंग्रेजी अति तो यहीं आते आप के पास अंग्रेजी आती तो नेता हमे दिन में ही अपने पास बुलवाया करते पर अंग्रेजी नही आती इस लिए रत में बुलाते हैं अपने काम करवाने के लिए हिंदी लिख  दो ।
- ठीक है एक्सपीरियंस बताओ ?
 -इस का मतलब ?
 -इस का मतलब है आप का क्या 2 अनुभव है ।
- अंकल अनुभव तो हमे हर चीज का है दुनिया का कोई ऐसा ताला  नही है जिसे हम खोल या तोड़ न सकें कोई गाड़ी ऐसी नही है जिसे हम खोल न लें डैकेती अपहरण आदि तो हमारे बाएं हाथ के खेल हैं ये सब अनुभव हैं ।
ये सब सुन क्र भाई भरोसे लाल बोले -भाई तुम तो बहुत महान हो तुम्हारी आवश्यकता तो पुलिस में बहुत  ठीक रहेगी तुम तो थानेदार बनने के के लिए दरखास्त दो पर कुछ और अनुभव भी बताओ ? ये तो दो पन्ने भी नही भरे ।
- अरे अंकल और अनुभव तो हमारे बहुत सारे  हैं कई 2 राज्यों की पुलिस हमारे पीछे पड़ी रहती है हमे तो हर राज्य में डैकेती का अनुभव है और ज्यादा करो तो लिख दो हमारे फोन से ही लोग हमे चुपचाप रंगदारी भेज देते हैं हम चाहे  जेल में हों या बाहर हों और आस पास की पुलिस तो हमे छेड़ने की हिम्मत  भी नही करती है वे तो बाहर की पुलिस के साथ मजबूरी में ही आते हैं और उस का भी हमे पहले ही पता चल जाता है ।
- इस में कितने पैसे तनखाह के लिखूं की कितने पर कम करोगे ?
- यह तो हम पार्टी देख कर तय  कर लेंगे कि कितने दे सकता है ?उस का दफ्तर व् गाड़ियाँ आदि देख कर  पता चल जाता है ।
- भाई और कुछ लिखना है क्या ?
अंकल यह भी लिख दो की नौकरी नही दी तो फिर देख लेना हम कौन हैं ?
आखिर जैसे तैसे भाई भरोसे लाल ने उन का विवरण यानि रिज्यूम बनया और उन के हाथ में थमा दिया बिना पैसे मांगे ही ।परन्तु फिर भी उन्होंने सौ का करार सा नोट निकल कर भाई भरोसे लाल के हाथ में थमा दिया भाई भरोसे लाल बोले की भाई दस बीस जो खुले हो वही  दे दो मेरे पास खुले पैसे नही हैं तब वः बोला - अरे अंकल आप भी कैसी बात करते हो हम भी तो आप के बच्चे हैं आप इस में से भी क्या वापिस देंगे इसे रखो अपने पास इस में से भी क्या वापिस दोगे  । तब भाई भरोसे लाल बोले की भाई बच्चे ही हो तो फिर तुम से क्या लेना तुम ही रख लो ।भरोसे लाल ने सोचा की कहीं सौ के पांच  सौ न मांगने लगें इन का क्या है तब दोनों बोले नही अंकल जी रहने दो कम हों तो बताओ और दें और वे उस रिज्यूम को ले कर वहन से चलते बने ।
उन के जाने  के बाद भाई भरोसे लाल ने उन का दिया हुआ सौ का करार नोट ध्यान से देखा उस में गाँधी जी तो थे पर उन का चश्मा गायब था यानि सौ का नोट एक दम  सौ प्रतिशत नकली था जिन से उन की जेब भरी हुई थी जिन में पांच सौ के नोट ही ज्यादा थे परन्तु फिर भी गनीमत रही कि वे गल्ले के पैसे छीन कर नही ले गये व बदतमीजी नहीकी ये क्या कम है नही तो गला पकड़ते और सारे पैसे भी छीन ले जाते बेचार  बड़े भले थे एक दम शरीफ व बड़े आदमियों के जैसे ।
भरोसे लाल के हाथ में वही  करार सा नोट था कभी वह  उसे देखता और कभी कम्प्यूटर में दिख रही अपनी  मुरझाई शक्ल को पर वह अब इस नोट का क्या करे पुलिस को दे या फाड़ कर फैंक दे इसे ले कर यदि वह पुलिस के पास गया तो पुलिस उसे ही वहीं  बैठा लेगी और नकली मुद्रा के कानून में फंसा देगी या उलटे उसे ही और पैसे देने पड़  जायेंगे पर पुलिस को न बताना भी तो अपराध है भरोसे लाल के माथे पर पसीना आ गया कि  वह अब क्या करे क्यों की वह भी तो एक शरीफ व् इज्जतदार इन्सान है ।
डॉ वेद व्यथित 
अनुकम्पा - 1577 सेक्टर -3 
फरीदाबाद 121004 
09868842688 

Friday, August 24, 2012


सामने देखो 
पहले समय में कुछ काम ऐसे होते थे जिन को सिखने के लिए बाकायदा कोई कोर्स करने की जरूरत नही पडती थी जैसे आप बचपन में ही घर वालों को बिना बताये ही चोरी छुपे साईकिल चलाना सीख लेते थे | उस के लिए आप को किसी स्कूल में ट्रेनिग लेने  की जरूरत नही पडती थी वैसे ही फोटो ग्राफी भी ऐसे ही ऐसे ही आ जाती थी और फिर एक कैमर खरीद कर मोहल्ले में ही फोटो ग्राफी कि दुकान शुरू हो जाती है थी |
इसी तरह की फोटो ग्राफी की दुकान मेरे मित्र भाई भरोसे लाल के पडोस में भी खुल गई | भाई भरोसे लाला का पड़ोसी होने के नाते फोटो ग्राफर उन्हें रोज इस लिए भी राम २ करता था कि कभी तो ये भी फोटो ग्राफी का काम करवाएंगे ही या किसी और से सिफारिश  कर के काम दिलवाएंगे और  कभी २ तो वह कह भी देता कि ताऊ जी मेरा भी ख्याल रखना | भाई भरोसे लाल भी चाहता था कि इस बेरोजगार युवक का किसी तरह रोजगार चल निकले | इसी लिए भाई भाई बरोसे लाल ने अपने घर पर अपने पोते का जन्म दिन मनवाया कि चलो इस बहाने  उस फोटो ग्राफर को भी काम मिल जायेगा |
पार्टी शाम को रखी गई | भाई भरोसे  लाल ने फोटो ग्राफर को कई दिन पहले ही बता दिया कि रविवार की शाम को पार्टी होनी है और  तुम फोटो खींच देना साथ ही यह भी  कहा  कि देखो फोटो बहुत बढिया खींचना , खराब न हो जाएँ | सब घरवाले तो मना कर रहे हैं किसी और से फोटो खिंचवायेंगे पर  मैंने उन से जिद्द कर के तुम से ही फोटो खिंचवाने का फैंसला किया है | साथ ही उन्होंने एक बात और कही कि समय पर अपने आप पहुंच जाना उस दिन तुम्हे ढूंढना न पड़े |फोटो ग्राफर ने भाई भरोसे लाल से पहले भी कई बार की गई अपनी बड़ाई  को दोहराया और दोनों बातों के प्रति आश्वस्त किया कि आप चिंता मत करो बहुत बढिया फोटो बनाऊंगा और अपने आप समय पर पहुंच जाऊंगा  आप बिलकुल भी चिंता न करें | यह तो मेरे घर का ही काम समझो | भाई भरोसे लाल उस की बातों से खूब आश्वस्त हो गये |
पार्टी का दिन आ ही गया | भाई भरोसे लाल सुबह ही जा कर देख आये की उस की दुकान खुली या नही | फोटो ग्राफर उन्हें दूर से दूर से ही सफाई करता दिख गया तो भरोसे लाल को तसल्ली हो गई कि फोटो ग्राफर आ गया है परन्तु उन्होंने फिर भी उस की दुकान पर जा कर उसे याद दिला दिया ही कि भाई शाम को कहीं चले मत जाना समयपर पहुंच जाना | उस ने फिर वही वाक्य दोहराए कि आप चिंता मत करो | धीरे २ शाम होने शाम होने लगी और पार्टी का समय भी आ ही गया |
यह कस्बे की जन्म दिन यानि बर्थ दे पार्टी थी यहाँ वैसे तो ज्यादातर लोग   बच्चे के जन्म  दिन पर कथा कीर्तन करवा कर सब को प्रसाद बंटवा  देते थे  |उस समय न उपहार का आदान  प्रदान और न ही मोमबत्ती  बुझाते हुए थूक के कण पड़े केक का वितरण ही होता था और कई बार तो नासमझी  में प्रसाद समझ  कर जो लोग शाकाहारी होते हैं उन्हें भी अंडे का केक खाना पड़ जाता था |
घर में चहल पहल  होनी शुरू हो गई | जिन के केवल बच्चे ही बुलाये गये थे उन की मम्मियां भी साथ आ गईं कई अपने छोटे भाई बहनों  को भी साथ ले आये कि वहाँ कागज की टोपी व टॉफी मिलेगी | बच्चो ने चिल्ल  पौं मचा कर धमाल मचाना शुरू कर दिया  भरोसे लाल ने कई बार घड़ी देखी और फिर दरवाजे की ओर देखा सोचा चलो एक आधा घंटा तो लेट चल ही जाता है आ जायेगा परन्तु पूरे दो घंटे हो गये फोटो ग्राफर अभी दूर २ तक भी  दिखाई नही दे रहा था कुछ छोटे बच्चे ज्यादा समय हो जाने   के कारण रोने लगे उन्हें चुप करवाना टेढ़ी खीर थी क्यों की लग रहा था कि ये टॉफी व टोपी अभी क्यों नही मिल रहा कुछ को शू २ आने लगा कुछ बार २ पानी मांगने लगे और जो औरतें बच्चो के साथ आ गईं थी वे खाने पर आमंत्रित नही थी अत: उन्हें घर जा कर खाना  बनाना था उन के लिए देर हो रही थी क्यों कि उन के पति देव घर पहुंच चुके थे और वे उन्हें घर वापिस आने का संदेशा भी भिजवा चुके थे |
इस भीच भाई भरोसे लाल कई बार बच्चो से फोटो ग्राफर को उस  की दुकान पर दिखवा चुके थे पर वह तो दुकान पर ही नही था | अब क्या किया जाये आखिर इंतजार कर के केक काट  ही लिया गया बिना फोटो खींचे ही |जैसे ही केक  कटा  इतने में ही फोटो ग्राफर भी आ गया भरोसे लाल को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर पार्टी के कारण उस गुस्से को दबा गया | फोटो ग्राफर ने तुरंत कैमरा निकल कर फ्लेश मारनी शुरू कर दी फोटो ग्राफर अपने एक्शन में आ गया और बाक़ी सध गये यानि अलर्ट हो गये महिलाओं ने रोते बच्चों की आँख और टपकती नाक फटाफट अपनी २ साड़ी के पल्लू से साफ की कुछ छोटे बच्चों  व बड़ों ने भी अपने बाल उन्गलियां  फेर कर ही संवार  लिए कुछ ने अपने कालर  आदि को कंधों को झटका दे २ कर ठीक कर लिया अब फोटो ग्राफर ने भरोसे लाल को कहा  आप चाकू पकड़ो और केक पर लगाओ तभी किसी ने कहा केक तो कट चुका है तब फोटो ग्राफर ने समझाया कोई बात नही केक का फोटो तो होना चाहिए हाँ जी केक पर चाकू रखो भरोसे  लाल ने पोते के हाथ में दे कर दुबारा कटवाने का अभिनय किया अब बारी आई केक खाने और खिलने की तो सब से पहले जिस का जन्म दिन था केक भी उसी को पहले खिलाया जाना चाहिए इस लिए भाई भरोसे लाल ने केक का बड़ा सा टुकड़ा उठा कर पोते के मुंह की तरफ किया तुंरत फोटो ग्राफर ने कहा - ताऊ जी समाने देखो भाई भरोसे लाल सामने देख कर पोते को केक खिलने लगा अब भला आप देखो किधर और हाथ किधर हो तो वह बिना देखे कैसे सही जगह पर जा सकता है | इसी चक्कर में केक बच्चे के मुंह के बजाय नाक में चला गया बच्चा रोने लगा अब भला रोते हुए बच्चे का फोटो कैसे खिंचा जाये तो जैसे तैसे बच्चे को चुप करवाया गया तो बच्चे की माँ केक खिलने लगी फोटोग्राफर ने उसे भी समाने देखने का आदेश दिया तो और भी गडबड हो गई एक तो उस ने जैसे तैसे थोडा सा घुंघट उठाया ताकि बादलों से ही  सही कम से कम चाँद दिखे तो  पर ससुर जी भी वहीं खड़े थे तो और फोटो ग्राफर का आदेश तह सामने देखो तो इस बार बच्चे के मुंह में जाने के बजाय पोते को गोद में उठाये भरोसे  लाल की मूछों  से जा टकराया  परन्तु फोटो ग्राफर  फिर भी सब को सामने देखो कहने से बाज  नही आया |
इसी तरह इस फोटो ग्राफर की सामने देखने की बात ने एक बार बड़ी गडबड कर दी होती | उस के पास देहात में एक शादी की फ्रोतो ग्राफी करने का काम मिला देहात में तो कैर देख कर वैसे ही लोग इकठ्ठे हो जाते हैं और शादी में तो वैसे भी भीड़ भाड़ थी और देहात में जब खेत बिक जाएँ तो कुछ दिन तक तो किसान बहुत पैसे वाला हो जाते है इसी लिए फोटो ग्राफर लडके वालों की मर्जी से जबरदस्ती बुलवाया गया |दुल्हन को तो शादी में वैसे ही जबर दस्ती शरमाना  होता ही है |वर वधू का माल्या अर्पण  यानि  जय माला का कार्य कर्म शुरू हो गया फोटो ग्राफर बार २ रट लगा रहा था - सामने देखो सामने देखो | दूल्हा अपनी अकड में था विवाह मंच पर दूल्हे के हुड़दंगी  दोस्त भी बरती होने के नाते बर्राए हुए और बोराए हुए  थे | दुल्हन में दूल्हे को  माला पहनाने के लिए हाथ उठा कर जैसे ही आगे बढाये वैसे ही फोटो ग्राफर ने खा  सामने देखो और इतने ही बगल से दोस्तों का एक धक्का दूल्हा को लगा दूल्हा अपनी जगह से खिसक गया उस की जगह दूसरा लड़का आ गया दुल्हन सामने देख ही रही थी और माला पहुंच गई दूल्हे के बजाय उस के दोस्त के सिर के करीब वो तो दुल्हन की छोटी बहन तेज थी उस ने दुल्हन को तुरंत रोका नही तो रंग में बड़ा भयंकर भंग पड़ जाती और लेने  के देने पड़ जाते |
इसी प्रकार एक बार एक श्रन्द्धाजली  सभा थी जो पहले जमाने में घर के सब से बड़े लडके के सिर पर जिम्मेदारी का अहसास दिलाने के रूप में पगड़ी बाँधने की रीति  के रूप में थी पर अब यह रीति यानि रस्म तो गौण हो गई अपितु झूठ मूठ दिखावा करने के लिए शोक सभाओं का पर जोर दिया जाने लगा है जिस में कई ऐसे २ लोग बोलने आ जाते हैं जिन्होंने बेशक दिवंगत व्यक्ति को एक बार भी देखा नही होता है परन्तु श्रद्धांजली सभा को रौबदार बनाने के लिए नेताओं को बुलाने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है ताकि वे कह सकें कि जब हमारा बाप मरा था तो कैसे २ बड़े २ नेता आये थे यानि मक्कार लोग इकठ्ठे हुए थे जिन में सफेद पोश चोर डकैत सभी थे | ऐसी ही एक शोक  सभा में एक नेता जी जैसे ही दिवंगत व्यक्ति के चित्र पर फूल  चढ़ने लगे वैसे ही फोटो ग्राफर ने नेता जी को कहा  सामने देखो| नेता जी सामने देख कर चित्र पर फूल चढ़ने लगे पर सामने देखने के चक्कर में उन के फूल चित्र पर  गिरने के बजाय चित्र के नजदीक बैठे व्यक्ति पर गिर गये | पर को कहि सके बड़ेन को लखि बड़ेन की भूल |
यहाँ भी यही हुआ नेता जी को तो कौन क्या कह सकता था | पर जिस पर गिरे  उस  ने जैसे तैसे अपने उपर से वे फूल तो झाड  लिए  पर पस उस के मन में एक वहम बैठ गया कि ये शोक के फूल थे जो उस के उपर गिर गये थे इन से कहीं  कोई अनहोनी न हो जाये | बेचारा परेशान हो गया और आप को पता ही है कि  मन की परेशानी  के कारण  ही बहुत  सी परेशानियाँ बिना बात भी आनी शुरू  हो जाती हैं |इस के कारण  ही उसे  अपने अंदर कुछ बीमारी महसूस होनी लगी उस ने इन्हें दूर करने के लिए बहुत  से टोने टोटके करवाए जो जिस ने कहा  उस ने इन्हें दूर करने का वैसा ही बेवकूफी भरा कम किया परन्तु उन से होना तो कुछ नही था एक दिन अनायास उस की मुझ से भेंट हो गई | उस ने मुझे भी अपना दुखड़ा सुनाया मुझे भी चिंता हुई कि अच्छा भाल आदमी था जो फोटो ग्राफर के सामने दिखने के चक्कर में  बिना वजह वहम हो जाने से परेशान हो गया है | क्यों कि उस पर फोटो ग्राफर और नेता जी का सीधा असर हो रहा थ डाइरेक्ट एक्शन |
मैंने मन ही मन सोचा कि इस के वहम का इलाज होना बड़ा जरूरी है यदि इलाज नही हुआ तो इसे जरूर कुछ हो जायेगा | मैंने उसे काहा  कि मैं तुम्हे एक बहुत ही बढिया सस्ता और आजमाया हुआ इलाज बता सकता हूँ |उस ने बड़ी कृतज्ञता भाव से तुरंत बताने का आग्रह किया तब मैंने उसे बताया कि किसी तरह  तुम उन्ही नेता जी का एक फोटो यानि चित्र ले आओ और उस के सामने गूगल की  नही गुलाब की अगर बत्ती जलाना और उस के चित्र के सामने देसी घी या तेल का नही अपितु रिफाइंड तेल का दीपक जलाना और उस के बाद वैसे ही फूल जैसे तुम्हारे उपर गिरे थे ऐसे ही ले लेना उन्हें ला कर नेता जी चित्र के सामने एक पैर पर खड़े हो कर उन के चित्र पर चढ़ा देना उस इस  में भी कुछ शंका थी कि वह इस से ठीक हो जायेगा क्या ?तब मैंने उसे बताया कि यदि भ्रष्ट नेताओं के चित्रों पर फूल  चढ़ जाये तो तुम क्या पूरा देश और देश की सारी व्यवस्था ही ठीक हो जाये |
इसी बीच मेरे मित्र भाई भरोसे लाल के छोटे लडके की शादी टी हो गई सब इंतजाम पूरे हो गये और फोटो ग्राफर तो अपना मौहल्ले वाला है ही पुरानी जान पहचान का , उसे भी बता दिया गया शादी की रीती रिवाज शुरू हो गये बरात  वापिस भी आ गई | फोटो ग्राफर ने सामने दिखा २ कर खूब चित्र खींचे | पर हमारे यहाँ तो बरात  के लौटने के बाद भी कई तरह के रीती रिवाज होते हैं जो कई दिन  बाद तक  भी चलते रहते हैं इसी प्रकार के एक नेग यानि रीती में वर वधू मन्दिर गये वहाँ पूजा हुई पूजा के बाद जैसे ही लड़का माँ के पैर छूने  को झुका फोटो ग्राफर ने कहा  सामने देखो और वह सामने देख कर माँ के पैर छूने  लगा माँ  के पास ही उस की नई नवेली वधू भी खड़ी थी | अब वह तो सामने देख रहा था और सामने देख कर पैर छोने के चक्कर में उस के हाथ माँ के पैरो पर जाने के बजाय  बहू के पैरों तक पहुंच गये और फोटो ग्राफर ने क्लिक कर दिया क्यों कि उस का चहेरा तो पूरा दिखाई ही दे रहा था बात तो मुंह दिखने की  या चेहरा  दिखने की है पैर छूने  की थोड़ी है |
अब क्या  था फोटो खींच ही चुका था और और उसे हटाना फोटो ग्राफर  का नुकसान था सो वह अपना नुकसान क्यों करता इस लिए चुप चाप एल्बम में भी लगा दिया जब एल  बम बन कर घर आई तो सब को अपने २ चहरे देखने की जल्दी थी ही सब लोग इकठ्ठे हो गया एक २ फोटो को सब ध्यान से देख रहे थे पर एक फोटो को देख कर सब हैरान हो गये एक ने पूछ भी लिया कि आप के यहाँ यह कौन सी रित है जिस में लड़का बहू के पैर छूता  है यह देख कर सब हैरान  हो गये क्यों कि भारत क्या भारत के बाहर भी पूरे विश्व में कोई देश ऐसा नही होगा जहाँ लड़का अपनी घरवाली के पैर छूता  हो या ऐसा रिवाज हो परन्तु वैसे भी पैर छूने की  रीत तो केवल भारत में ही है या भारत वंशी जहाँ २ गये वहाँ २ भी अभी जीवित है | पर वहाँ २ भी घरवाली के पैर कोई नही छूता |
तब सब ने पुछा तो फिर यह फोटो में क्या हो रहा है सब ने देखा लडके के हाथ बहू के पैरों के पास हैं  और माँ पास खड़ी है | लडके ने तुंरत फोटो निकल कर फाड़ना चाहा पर सब ने कहा  कि फोटो फाड़ना तो बड़ा अपशकुन होता है अब खींच गया है कोई बात नही तेरी ही तो घरवाली है क्या हो गया तू  माता जी के पैर ही तो छु रहा था यह तो फोटो ग्राफर के सामने देखने के चक्कर में बहू माता के पैरों को गलती से हाथ लग गया और यह तो सारी उम्र तेरे और तेरे घर वालों के पैर छूती रहेगी तूने  एक बार छू लिए तो कौन सी आफत हो गई |
परन्तु पैर तो पैर ही हैं वे छूने  के लिए ही तो होते हैं और पैर छूने की परम्परा  तो यहाँ बहुत पुरानी है हमारे यहाँ सुबह उठते ही सब से पहला काम पैर छूने का होता था इसी लिए भगवान श्री राम जी तक बड़ों के पैर छूते थे संत सूरदास जी ने भी इसी लिए यह पड़ गया होगा " चरण कमल बंदौ हरी राई" तो यहाँ भी सब से सुकोमल कमल जैसे चरण नव वधू यानि नई नवेली दुल्हन के ही तो थे तो फिर उस के छू लिए तो क्या हो गया यह तो भक्ति की बात है |परन्तु चलो यहाँ तो अपनी ही घरवाली  वाली थीपरन्तु यदि सामने देखने के चक्कर में हाथ कहीं और को छू जाता या लग जाता तो क्या होता बताने की जरूरत नही है |
इसी लिए किसी और के कहने में आ कर या बहकावे में आकर कभी कोई ऐसा काम करना जो अनसमझ  फोटो ग्राफर जैसे लोग करवा देते हैं और हम अपना चेहरा  दिखने के चक्कर में कुछ भी कर देते हैं या हम दूसरों के बहकावे में आकर या दूसरों के कहने से गलत लोगों को चुन कर गलत लोगों की सरकार बनवा देते हैं और फिर पांच साल तक पछताते रहते है इस लिए किसी के बहकावे में आने के बजाय खुद जिधर मर्जी आये देखना फिर परखना और तब कोई काम  करना फिर देखना कितना मजा आएगा और सब कुछ ठीक भी हो जायेगा |  

Thursday, August 9, 2012

भगवान  श्री कृष्ण जी जिन्होंने दुष्टों व राक्षसों का नाश किया रोहणी अष्टमी को उन का जन्मोत्सव है उन के जन्मोत्सव  को इसी रूप में मनाना हर हिन्दू का कर्तव्य है कि उन से प्रेरणा ले कर हम सब हिन्दू धर्म की रक्षा का इस अवसर पर प्रण लें क्यों कि भगवान इसी हेतु प्रथ्वी पर प्रकट हुए थे वर्तमान समय में केवल झांझ बजाने से या कीर्तन करने से दुष्टों का नाश नही होगा या खाली व्रत करने भर से दुष्ट सुधर जायेंगे यह भूल हम बहुत कर चुके हैं अब जागने का अवसर हैं आओ अपने धर्म की रक्षार्थ उठें और धर्म की रक्षा करें यही जन्मोत्सव की सार्थकता होगी तभी भगवान हम से प्रसन्न होंगे जब हम उन के कार्यों को करेंगे और धर्म विरोधियों का नाश ही भगवान का वास्तविक कार्य है |

Sunday, June 24, 2012

अँधेरे ही अँधेरे हैं उजाले छुप गये जा कर 
चलो हम रौशनी करने उन्हें ढूंढ लाते हैं |
तपिश जो बढ़ गई है आसमां से आग बरसी है 
चलो उस आग को हम खून दे कर बुझा आते हैं |
सुना है हर तरह वे अपनी बातें  ही सही कहते 
चलो हम आइना उन का उन्ही को दिखा आते हैं |
नही वे मानते कब हैं कभी अपने किये को ही 
उन्ही के कारनामों को उन्हें ही दिखा आते हैं |
बहुत आसन कब है खुद की गलती माँ भर लेना 
चलो उन की कही बातें उन्ही को बता आते हैं |
फुंके अपना ही घर बेशक उजाले तो जरूरी हैं 
चलो हम दीया लेकर फूंक अपना घर ही आते हैं |

डॉ. वेद व्यथित 
०९८६८८४२६८८

Monday, June 18, 2012

रास्ट्रीय जनतांत्रिक गठ्बन्धन ये एन डी ए को अब समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्यों कि अब इस का कोई अस्तित्व बाक़ी कहाँ रहा है जब घटक दल अपना २ राग अलाप रहे हैं तो फिर गठबन्ध कैसा इस लिए बी जे पी इस से अलग हो कर अपने अस्तित्व की लड़ाई अकेली ही लड़े इस से बी जे पी को बहुत लाभ होगा नही तो सब के हाथ जोड़ते २ उस का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा वह कहीं की भी नही रहेगी न राम की न काम की