Sunday, September 21, 2014

जिंदगी  छू  लिया तो एक सिरहन सी हुई 
आँख भर देखा तो उस में एक तड़पन सी हुई 
बस  इसी के सहारे ये जिंदगी चलती रही 
और एक पल में इसी से जिंदगी पूरी हुई।  

जिंदगी अक्सर अक्सर हमारी पास रहती है कहाँ 
सोचते हैं, जिंदगी, पर दूर रहती है कहाँ 
हम इसी  भटकाव में जीते हैं अक्सर जिंदगी
 जिंदगी की मौज है  रहती कहाँ है जिंदगी। 

जिंदगी को देख लोगे तुम यदि नजदीक से 
तब समझ आ जाये शायद जिंदगी यह ठीक से 
पर इसे तुम फैंसला मत मान लेना आखिरी 
दूर रहती जिंदगी है जिंदगी की सिख  से। 
 

No comments: