Monday, September 19, 2011

अमर बलिदानी मोहन चंद शर्मा के बलिदान दिवस पर नम आँखों से श्रद्धांजली

अमर बलिदानी मोहन चंद शर्मा के बलिदान दिवस पर नम आँखों से श्रद्धांजली


मोहन चंद गये ही क्यों थे आतंकी से लड़ने को
भारत माता के चरणों में जीवन अर्पण करने को
ऐसे ऐसे प्रश्नों की यदि छूट मिलेगी शासन से
कौन चलेगा यहाँ देश हित जीवन अर्पण करने को ||

मेरी नही चिता पर मेले यहाँ कहीं लग पाएंगे
गोली सीने पर खाई है फिर भी जाँच बिठाएंगे
बेशर्मी की हद हो गई आतंकी सम्मानित हैं
अगर देश पर मर जाओगे तो भी प्रश्न उठाएंगे ||

बहुत २ सारे वादे तो किये चिता पर जायेंगे
पर जैसे ही चिता बुझेगी दिए भुला वे जायेंगे
फिर उन के पीछे पीछे फिरने में जूती टूटेगी
अमर शहीदों के घर वाले दर दर ठोकर खायेंगे ||

दर. वेद व्यथित
०९८६८८४२६८८

Thursday, September 8, 2011

ये सर्जना के क्षण तुम्ही को तो समर्पित हैं |

तुम्हीं को तो समर्पित हैं |
ये सर्जन के क्षण

नींद आँखों में लिए
पलकें न होती बंद
चित्र कितने आ रहे हैं
सामने क्रम बद्ध
चित्र भी हूँ तूलिका भी
मैं सर्जक भी हूँ

इस सर्जन के ही लिए
सब कुछ समर्पित है ||

मलय सी शीतल पवन
जो छो रही तन और मन
ये छुअन की चेतना
करती है हर्षित मन
हर्ष के क्षण मिले कितने
बहुत ही तो कम

ये सुखद से अल्प क्षण
तुम को समर्पित हैं

एक संदेशा जो आया
अर्थ गहरे हैं
उसी गहरे अर्थ के
अनुवाद कितने हैं
जो तुम्ही समझे
न कोई दूसरा समझा

लाख कोशिश रही
कुछ तो कहूँ तुम को
शब्द ही पर अर्थ को
पहचानते कब हैं
शब्द को पहचन लें
वे अर्थ कितने हैं

अर्थ जिन को मिल गये
वे शब्द अर्पित हैं ||

Sunday, August 21, 2011

jai sri krishn

भगवान का ही कार्य है आज सत्य की विजय के लिए किये गये उन के कार्य को गौण बना कर भगवान की एक अनुचित छवि प्रस्तुत कर रहे हैं ये लोग जब कि भगवान ने बाल काल से आज योगिराज भगवान श्री कृष्ण का प्राकट्य दिवस है अत: भगवान के प्रति श्रद्धा निवेदन करना हर भारतीय का कर्तव्य है यह श्रद्धा उन के मानवता के प्रति कए गये कार्यों के प्रति समर्पण भाव से किये गये कार्य ही हैं इस लिए उन के चरित्र को बदनाम करने वाले तथाकथित कुछ भागवत कथा वाचकों द्वारा जिस प्रकार बिगाड़ा जा रहा है उस का प्रतिकार भी ही अन्याय का विरोद्ध किया था और प्रत्येक मनुष्य को धर्म युद्ध के लिए तत्पर होने को कहा था तथा धर्म के लिए बलिदान देना ही जिन्होंने धर्म बताया था आज वैसी ही परिस्थिति हैं
जिस के लिए हम को तत्पर रहना ही होगा नही तो अधर्म सब तरफ बढ़ते २ पूरी पृथ्वी पर छा जाएगा आओ भगवान को नमन करते हुए अधर्म के नाश के लिए आगे बढ़ें ||

Sunday, July 31, 2011

त्रि पदी

भूले कब जाते हैं
जो याद बहुत आते
वे खूब सताते हैं |

जो खूब सताते हैं
वे याद बहुत आते
पर भूले जाते हैं ||

कैसे उन को भूलूँ
हैं साँस वह मेरी
कैसे उन को भूलूँ ||

भूलों को जरा कह दो
वे याद रहें मुझ को
ये बात उन्हें कह दो ||

यह बात जरूरीहै
यह याद रहेगी ही
यह भूल ही ऐसी है ||

कुछ भूलें मीठी हैं
इन्हें भूल नही सकते
वे हर पल मीठी हैं ||

वह बात अभी भी है
वह भूल नही भूली
वह याद अभी भी है ||

भूलों को नही भूलें
फिर भूल नही होगी
कहे को उन्हें भूलें ||

भूलों को यदि भूलें
फिर भूल करेंगे हम
उन को न कभी भूलें ||

धोड़ा सा अंतर है
यादों और भूलों में
पर अंदर दोनों हैं ||

भूलों को भूल गये
यह बात नही जमती
क्यों खुद को भूल गये ||

इस मन के झरोखे में ||
यादों के झरोखे में
कुछ भूल तो होंगी ही

Sunday, July 24, 2011

चौपदे

भूलो राम राज की बातें ये ही अपना नारा है
घपलिस्तान बनायेंगे हम यही हमारा नारा है
अन्ना ,बाबा तो बेचारे यूँ ही खुद मर जायेंगे
बेवकूफ ये जनता है हम इस को नाच नचाएंगे ||

अन्ना जी क्या याद नही है पांच जून की घटना
अच्छी तरह हमे आता है मुंह को बंद करना
नही भूलना पांच जून को फिर दोहरा सकते हैं
शासन कैसे करना है ये हम को नही बताना ||

आजादी का जश्न मनाओ ये किस ने रोका है
पर सत्ता न हाथ लगेगी ये केवल धोखा है
सत्ता पर तो केवल और केवल अधिकार हमारा
बाक़ी कुछ भी करो और हम ने किस को रोका है ||

अब के लाल किले से जब झंडा फहराया जायेगा
उस के बाद बहुत सी बातों को फिर दोहराया जायेगा
पर मंहगाई और आतंकी घटना कम न होंगी
इसी तरह से देश खूब यूं ही लुटवाया जायेगा ||

मन्तर मैंने पढ़े और बिल में तुम हाथ लगा लो
घोटालों की हिस्से दारी चुपचाप पंहुंचा दो
बोलोगे तो पता तुम्हे है हम क्या कर सकते हैं
कुछ दिन मुंह पर अंगुली रख कर जेल में मौज उड़ा लो ||

पिछले सालों की भांति ही पन्द्रह अगस्त मनेगा
उसी भांति ही लाल किले पर झंडा भी फहरेगा
पर जिस अंतिम व्यक्ति कि गाँधी ने बात कही थी
शायद वो बेचारा तो अब दूर भी नही दिखेगा

Friday, July 22, 2011

चौपदे

भूलो राम राज की बातें ये ही अपना नारा है
घपलिस्तान बनायेंगे हम यही हमारा नारा है
अन्ना ,बाबा तो बेचारे यूँ ही खुद मर जायेंगे
बेवकूफ ये जनता है हम इस को नाच नचाएंगे ||

अन्ना जी क्या याद नही है पांच जून की घटना
अच्छी तरह हमे आता है मुंह को बंद करना
नही भूलना पांच जून को फिर दोहरा सकते हैं
शासन कैसे करना है ये हम को नही बताना ||

आजादी का जश्न मनाओ ये किस ने रोका है
पर सत्ता न हाथ लगेगी ये केवल धोखा है
सत्ता पर तो केवल और केवल अधिकार हमारा
बाक़ी कुछ भी करो और हम ने किस को रोका है ||

अब के लाल किले से जब झंडा फहराया जायेगा
उस के बाद बहुत सी बातों को फिर दोहराया जायेगा
पर मंहगाई और आतंकी घटना कम न होंगी
इसी तरह से देश खूब यूं ही लुटवाया जायेगा ||

मन्तर मैंने पढ़े और बिल में तुम हाथ लगा लो
घोटालों की हिस्से दारी चुपचाप पंहुंचा दो
बोलोगे तो पता तुम्हे है हम क्या कर सकते हैं
कुछ दिन मुंह पर अंगुली रख कर जेल में मौज उड़ा लो ||

पिछले सालों की भांति ही पन्द्रह अगस्त मनेगा
उसी भांति ही लाल किले पर झंडा भी फहरेगा
पर जिस अंतिम व्यक्ति कि गाँधी ने बात कही थी
शायद वो बेचारा तो अब दूर भी नही दिखेगा

Tuesday, July 12, 2011

फिर भी प्यासी प्यास रह गई

फिर भी प्यासी प्यास रह गई

बहुत बार बादल छाये हैं
बहुत बार वर्षा आई है
बहुत बार भीगा होगा मन
फिर भी प्यासी प्यास रह गई |
बहुत रात आँखों में बीतीं
बहुत सजाये स्वप्न रंगीले
सुबह हुई तो बिखर गए वे
रोज अधूरी आस रह गई |
बहुत कहा जो भी मन में था
बहुत सुना जो कहा उन्होंने
कहते सुनते गई जिन्दगी
फिर भी आधी बात रह गई |
कहाँ मिला जो भी मन में था
जो भी मिला नही मन भाया
फिर भी चलती रही जिन्दगी
मन की मन में बात रह गई ||