Sunday, December 25, 2011






राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खुजली

खुजली शब्द को सुनते ही मजा सा आने लगता है क्योंकि जैसे बिवाई के फटे बिना पीर नही जानी जा सकती ऐसे ही खुजली के खुजलाये बिना आप को उस का मजा नही आ सकता है और जिस ने जिन्दगी में खुजली का मजा न लिया हो ऐसा भी कोई इन्सान नही होगा क्यों कि यह मजा ही ऐसा है जिसे लिए बिना आप रह नही सकते |यदि आप को कहीं खुजली हो रही हो तो आप कितनी भी कोशिश करो मन को खूब पक्का करो पर जैसे नेता भाषण दिए बिना ,कवि कविता सुनाये बिना ,औरते चुगली २ बतलाये बिना ,यौवन की दहलीज पर आये युवा लडके लडकी एक दूसरे को देखे बिना , सास बहुएं एक दूसरे की बुराई किये बिना ,दूध वाले पानी मिलाये बिना ,कहावत के अनुसार सुनार खोट मिलाये बिना पत्नी पति को डांट लगाये बिना बर्तनों को खडके बिना ,कोयल को कूके बिना ,मोर को नाचे बिना ,गधे को ढेंचू २ किये बिना कुत्ते को भौंके बिना आदि जैसे मानते ही नही है वैसे ही आदमी खुजलाये बिना मानता ही नही है |वह लाख कोशिश कर के देख ले पर खुजलाये बिना रह ही नही सकता ,खुजली चीज ही ऐसी है क्यों कि यह एक सार्वजनीन ,सर्वव्यापक ,राष्ट्रिय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चीज है |आखिर ऐसी महत्व पूर्ण चीज से कोई कैसे वंचित रह सकता है और यदि रह जाये तो वह या तो आदमी नही है और यदि है तो वह खुजलाये बिना रह जाये तो समझो अपनी जिन्दगी के असली मजे से वंचित रह गया |उस जैसा दुर्भाग्यशाली इस दुनिया में कोई नही होगा कि जिसे खुजली लगी हो और वह इसे खुजलाये बिना रह जाये क्योंकि यह तो गूंगे का गुड है , जी हाँ इस के आगे लड्डू ,बर्फी रस मलाई आदि तो कुछ भी नही हैं |अब आप समझ ही गये होंगे कि कितनी महत्वपूर्ण चीज है यह खुजली या खाज |
इस का महत्व स्त्री -पुरुष ,घर - परिवार ,गली - मौहल्ला ,गाँव - नगर , जिला - राज्य ,व देश - विदेश तक व्यापक है |सब से ज्यादा तो यह आप के लिए ही महत्वपूर्ण है |हो सकता है खुजली के लिए भी आदमी ही सब से ज्यादा उपयुक्त हो क्योंकि सब से ज्यादा खुजली भी उसी को होती है जो उसे कहीं भी और कभी भी हो सकती है किस भी जगह या किसी भी समय दिन - रात ,सोते जगते ,उठते -बैठते हरी नाम की तरह हो सकती है जैसे हरी नाम कैसे भी लिया जा सकता है ऐसे ही खुजली भी कहीं भी की जा सकती है |पर इस सब में सब से महत्व पूर्ण है आदमी यानि जिसे खुजली होती रहती है और वह अपनी खुजली मिटने के लिए कई बार बहुत लोगों को खुजली कर देता है और कई बार तो ऐसी खुजली फैलता है कि इस खुजली से पूरी दुनिया को संक्रमित कर देता है जैसे आतंक वाद की खुजली ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है जिसे खुजाते २ पूरा विश्व उकता चुका है पर यह खुजली है कि मिटती ही नही और घटने के बजाय दोनों दिन और बढती रहती है |
ऐसे ही खुजली कई अन्य देशों में भी समय २ पर उठती रहती है जिस के कारण वे दूसरे देशों को भी ऐसे परेशान करते हैं जैसे भैंसा अपनी खुजली मिटने के लिए किसी पेड़ ,खम्बा या गाड़ी आदि से अपने शरीर को रगड़ते २ उसे गिरा देता है ऐसी ही खुजली अमेरिका और चीन को भी होती रहती है | अम्रेरिका तो बाकायदा एलान कर के जोर २ से खुजली करता है उसे खुजलाने के लिए कभी इराक कभी इरान कभी अफगानिस्तान और कभी हिन्दुस्तान या पाकिस्तान चाहिए ही | ऐसे ही चीन है वह तो जिस को मर्जी धमका देता यदि कोई अपने यहाँ किसी भिक्षु को भी बुला ले तो बस चीन उस का ही दुश्मन बन जाता है ऐसे ही देखा देखी अब रूस भी को भी दुबारा खुजली होने लगी है तो उस ने श्री मद भागवत गीता पर ही प्रतिबन्ध की मंशा जाहिर कर के अपनी खुजली मिटानी शुरू कर दी |अब बताओ ऐसी २ खुजली का क्या किया जाये समझ नही आता है और हमारा देश है कि उसे पता है कि रूस गलत जगह खुजा रहा है तो भी कुछ नही कहता है लगता यहाँ के नेताओं को भी गलत जगह खुजली हो रही है जो मन मर्जी खुजलाये जा रहे हैं नही तो ऐसा करार जबाब दें कि उस के तो बड़ों २ की खुजली बंद हो जाये |
पर वे कह भी कैसे सकता हैं क्योंकि वह तो स्वयम ऐसी २ खुजली करते हैं इन नेताओं को साम्प्रदायिकता नामकी बिना बात की सूखी खुजली वक्त बेवक्त होती रहती है इस खुजली को वे जब मर्जी खुजलाने लगते हैं न तो वे इस में कोई जगह देखते है नऔर न ही अपना शरीर कि कहाँ खुजा रहे हैं | और सब से ज्यादा मजा तो उन्हें गुजरात की तरफ मुंह कर के खुजलाने में आता है |जिसे वे गुजरती खुजली या भगवा खुजली कहते हैं परन्तु गुजरातियों के पास इस खुजली की ऐसी दाव है कि जिसे वे जिस को भी लगा देते हैं वह ही नाचता २ फिरता है या बिलों में जा कर ही उसे शन्ति मिलती है |और तो और कुछ बिका हुआ मिडिया भी इस गुजरती खुजली से बाज नही आता है वह जब तब इसे करता ही रहता है पर गुजरती दवा है बहुत तेज जिसे लगती है नचाती जरूर है |ऐसे ही एक टोपी वाले को भी गुजरती खुजली लगी पर जब उसे दवा लगाई तो वह भी नाचा २ फिरा और फिर घर छोड़ कर ही भाग गया कि भाई मैं तो एक दम ठीक हो गया हूँ |यह खुजली तो मुझे किसी और न जबरदस्ती पकड़ा दी थी |
जब बात देश की चली है तो लगे हाथ कुछ और लोगों की खुजली भी मिटवा ली जाये |इन में से कुछ ओग तो ऐसे हैं कि उन्हें इतनी जोर से खुजली लगती है कि वे न तो दिन देखते हैं और न ही रात बस उन को तो खुजली मिटने से मतलब |उन्हें इस से क्या कि चाहे बच्चे हों चाहे औरते चाहे आधी रात हो डंडा ले कर रात में ही लगे अपनी खुजली मिटाने बेशक उस से भारत माता की एक वीर पुत्री बलिदान भी हो गई परन्तु उन्हें इस से क्या उन्हें तो अपनी खुजली से मतलब सो उन्होंने खुजलाया लो अब कर लो उन का क्या कर लोगे |उन्होंने तो खुजली मिटा ही ली |
ऐसे ही एक और माननीय हैं |वे तो अपनी मन मर्जी खुजली मिटने के लिए किसी को भी धमकाने लगते हैं |परन्तु चलो देशी लोगों को तो वे आसानी से धमका सकते हैं परन्तु विदेशियों को कैसे धमका सकते हो एक देशी कहावत है धिन्गों {ताकत वर } के लिए धींग बहुत मिल जाते हैं घर नही तो बाहर मिल जाते हैं सो उन्हें मिल भी गये |आखिर उन विदेशियों ने इन की खुजली पर ऐसी मलहम लगाई कि पानी मांगते फिरे और यदि इस से काम नही चलता तो वे अपने औजारों से इन की खुजली वाली खाल ही छिल कर खुजली ठीक कर देते परन्तु ये दवा से ही मान गये की भैया बस करो मेरी खुजली तो खूब ठीक हो गई है |अब आप जैसे चाहो अपनी मर्जी से अपनी खुजली ठीक करो या खुजलाओ मुझे क्या लेना देना |यह खुजली तो बड़े काम की चीज है इस से तो अब मैं भी फायदा उठाऊंगा |
इन लोगों में कुछ तो ऐसे भी हैं उन्होंने तो खुजली कर कर के ही इतनी सम्पत्ति इकठ्ठी कर ली कि जज साहब भी पूछने लगे कि अरे इस में कितनी जीरो लगेंगी इस की तो गिनती करना भी मुश्किल है |परन्तु उन्होंने जिस कलाकारी से खुजली की वह तो अनोखी ही है खुजली क्या हुई टकसाल ही हो गई जैसे २ उन की खुजली बढती वैसे २ आंधी में झरे आमों की भांति ही उन पर रुपयों की बरसात होती |उन्हें इस से क्या देश का खजाना बेशक खाली रहा पर इस खुजली ने उन के खजाने तो ऐसे भरे कि रिश्तेदारों के यहाँ भी माल रखने की जगह कम पड़ गई |
इस खजाने की बात चली है तो यह भी बड़ा संयोग है कि खजाने और खुजली दोनों के एक ही अक्षर से शुरू होते हैं उन में बड़ा सुंदर अनुप्रास है दोनों ही ख अक्षर से शुरू होते हैं खजाना भी और खुजली भी इस लिए लोगों को खजाने में खुजली और खुजली में खजाना नजर आने लगा जैसे लोग खुजली को छिपाते हैं वैसे ही इन लोगों ने खजाना भी छुपाना शुरू कर दिया और छुपाया भी ऐसे कि देश में तो पता चल जायेगा क्यों कि यहाँ कुछ संत महात्मा और एक स्वामी तो ऐसे हैं कि वे कहीं भी हो खोज ले ही लेंगे इस लिए उन्होंने इस खजाने को विदेश में छुपा दिया |पर संत और स्वामी ने वहाँ भी इस का सुराग लगा लिया जिस से इन की खुजली बढने लगी इस लिए इन माननीयों ने इन संत और स्वामी को तरह २ से धमका कर अपनी खुजली मिटानी शुरू कर दी पर वे हैं कि मानते ही नही इन के पीछे दवा ले कर ऐसे भाग रहे हैं कि जैसे उन का खजान ही ये विदेश में रख आये हैं पर जब वे दवा लगवाना ही नही चाहते हैं तो भी ये इन में हर अंग को उघाड़ २ कर जनता को बता रहे हैं कि देखो इन सुंदर लोगो को कितनी भयंकर खाज है और कहाँ २ है जिसे देख कर लोग ठीक से थू २ कर सकें |पर इन पर तो इस का असर ही नही हो रहा है |अब तो ये खुद ही लोगों के सामने अपने कपड़े उघाड़ २ कर खुजला २ कर मजे ले रहे हैं |और कह रहे हैं लो हमारा क्या कर लोगे हम तो ऐसे ही खुजलायेंगे ,दवा नही लगवाएंगे |आखिर यह खुजली कोई छोटी मोटी चीज थोड़ी है इस का तो मजा ही अलग तरह का है ये साधू और स्वामी इस मजे को क्या जाने और यदि मजे लेने हैं तो खुद भी खुजा लें |
अब जब ये लोग खुजलाने पर इतने ही उतारू हो चुके हैं तो लोगो को भी फिर से खुजली होनी शुरू हो गई है |अब वे फिर से अपनी खुजली के लिए मैदान तलाश रहे हैं कि जहाँ आसानी से खुजलाया जा सके और दवा भी लगाई जा सके खुद को भी और इन को भी |इस लिए अब देश के लोग दुगने उत्साह से एकत्रित हो कर किसी नई दवा की खोज कर रहे हैं जो एक दम असर डर हो और लगाने वालों पर भी इस का दुष्परिनाम न हो | पर सोये हुए को तो जगाया जा सकता है पर जगे हुए मक्कार को कैसे जगाया जाये ऐसे ही जब ये मक्कार चाहते ही नही कि इन की खुजली ठीक न हो तो भला कैसे ठीक हो सकती है | वे तो उलटे दवा लगाने वालों को ही डराने व धमकाने के लिए तैयार बैठे है और बीच २ में पिछली घटना भी याद दिला देते हैं कि जिन्होंने दवा लगाने का प्रयत्न किया उन की कैसी पिटाई की वैसी ही अब फिर भी हो सकती है क्यों कि उन्हें पता है कि ये लोग उन का कुछ नही बिगड़ सकते हैं इस लिए वे यूं ही कपड़े उघाड़ २ कर खुजलाते रहेंगे और देश की खु




राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खुजली

खुजली शब्द को सुनते ही मजा सा आने लगता है क्योंकि जैसे बिवाई के फटे बिना पीर नही जानी जा सकती ऐसे ही खुजली के खुजलाये बिना आप को उस का मजा नही आ सकता है और जिस ने जिन्दगी में खुजली का मजा न लिया हो ऐसा भी कोई इन्सान नही होगा क्यों कि यह मजा ही ऐसा है जिसे लिए बिना आप रह नही सकते |यदि आप को कहीं खुजली हो रही हो तो आप कितनी भी कोशिश करो मन को खूब पक्का करो पर जैसे नेता भाषण दिए बिना ,कवि कविता सुनाये बिना ,औरते चुगली २ बतलाये बिना ,यौवन की दहलीज पर आये युवा लडके लडकी एक दूसरे को देखे बिना , सास बहुएं एक दूसरे की बुराई किये बिना ,दूध वाले पानी मिलाये बिना ,कहावत के अनुसार सुनार खोट मिलाये बिना पत्नी पति को डांट लगाये बिना बर्तनों को खडके बिना ,कोयल को कूके बिना ,मोर को नाचे बिना ,गधे को ढेंचू २ किये बिना कुत्ते को भौंके बिना आदि जैसे मानते ही नही है वैसे ही आदमी खुजलाये बिना मानता ही नही है |वह लाख कोशिश कर के देख ले पर खुजलाये बिना रह ही नही सकता ,खुजली चीज ही ऐसी है क्यों कि यह एक सार्वजनीन ,सर्वव्यापक ,राष्ट्रिय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चीज है |आखिर ऐसी महत्व पूर्ण चीज से कोई कैसे वंचित रह सकता है और यदि रह जाये तो वह या तो आदमी नही है और यदि है तो वह खुजलाये बिना रह जाये तो समझो अपनी जिन्दगी के असली मजे से वंचित रह गया |उस जैसा दुर्भाग्यशाली इस दुनिया में कोई नही होगा कि जिसे खुजली लगी हो और वह इसे खुजलाये बिना रह जाये क्योंकि यह तो गूंगे का गुड है , जी हाँ इस के आगे लड्डू ,बर्फी रस मलाई आदि तो कुछ भी नही हैं |अब आप समझ ही गये होंगे कि कितनी महत्वपूर्ण चीज है यह खुजली या खाज |
इस का महत्व स्त्री -पुरुष ,घर - परिवार ,गली - मौहल्ला ,गाँव - नगर , जिला - राज्य ,व देश - विदेश तक व्यापक है |सब से ज्यादा तो यह आप के लिए ही महत्वपूर्ण है |हो सकता है खुजली के लिए भी आदमी ही सब से ज्यादा उपयुक्त हो क्योंकि सब से ज्यादा खुजली भी उसी को होती है जो उसे कहीं भी और कभी भी हो सकती है किस भी जगह या किसी भी समय दिन - रात ,सोते जगते ,उठते -बैठते हरी नाम की तरह हो सकती है जैसे हरी नाम कैसे भी लिया जा सकता है ऐसे ही खुजली भी कहीं भी की जा सकती है |पर इस सब में सब से महत्व पूर्ण है आदमी यानि जिसे खुजली होती रहती है और वह अपनी खुजली मिटने के लिए कई बार बहुत लोगों को खुजली कर देता है और कई बार तो ऐसी खुजली फैलता है कि इस खुजली से पूरी दुनिया को संक्रमित कर देता है जैसे आतंक वाद की खुजली ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है जिसे खुजाते २ पूरा विश्व उकता चुका है पर यह खुजली है कि मिटती ही नही और घटने के बजाय दोनों दिन और बढती रहती है |
ऐसे ही खुजली कई अन्य देशों में भी समय २ पर उठती रहती है जिस के कारण वे दूसरे देशों को भी ऐसे परेशान करते हैं जैसे भैंसा अपनी खुजली मिटने के लिए किसी पेड़ ,खम्बा या गाड़ी आदि से अपने शरीर को रगड़ते २ उसे गिरा देता है ऐसी ही खुजली अमेरिका और चीन को भी होती रहती है | अम्रेरिका तो बाकायदा एलान कर के जोर २ से खुजली करता है उसे खुजलाने के लिए कभी इराक कभी इरान कभी अफगानिस्तान और कभी हिन्दुस्तान या पाकिस्तान चाहिए ही | ऐसे ही चीन है वह तो जिस को मर्जी धमका देता यदि कोई अपने यहाँ किसी भिक्षु को भी बुला ले तो बस चीन उस का ही दुश्मन बन जाता है ऐसे ही देखा देखी अब रूस भी को भी दुबारा खुजली होने लगी है तो उस ने श्री मद भागवत गीता पर ही प्रतिबन्ध की मंशा जाहिर कर के अपनी खुजली मिटानी शुरू कर दी |अब बताओ ऐसी २ खुजली का क्या किया जाये समझ नही आता है और हमारा देश है कि उसे पता है कि रूस गलत जगह खुजा रहा है तो भी कुछ नही कहता है लगता यहाँ के नेताओं को भी गलत जगह खुजली हो रही है जो मन मर्जी खुजलाये जा रहे हैं नही तो ऐसा करार जबाब दें कि उस के तो बड़ों २ की खुजली बंद हो जाये |
पर वे कह भी कैसे सकता हैं क्योंकि वह तो स्वयम ऐसी २ खुजली करते हैं इन नेताओं को साम्प्रदायिकता नामकी बिना बात की सूखी खुजली वक्त बेवक्त होती रहती है इस खुजली को वे जब मर्जी खुजलाने लगते हैं न तो वे इस में कोई जगह देखते है नऔर न ही अपना शरीर कि कहाँ खुजा रहे हैं | और सब से ज्यादा मजा तो उन्हें गुजरात की तरफ मुंह कर के खुजलाने में आता है |जिसे वे गुजरती खुजली या भगवा खुजली कहते हैं परन्तु गुजरातियों के पास इस खुजली की ऐसी दाव है कि जिसे वे जिस को भी लगा देते हैं वह ही नाचता २ फिरता है या बिलों में जा कर ही उसे शन्ति मिलती है |और तो और कुछ बिका हुआ मिडिया भी इस गुजरती खुजली से बाज नही आता है वह जब तब इसे करता ही रहता है पर गुजरती दवा है बहुत तेज जिसे लगती है नचाती जरूर है |ऐसे ही एक टोपी वाले को भी गुजरती खुजली लगी पर जब उसे दवा लगाई तो वह भी नाचा २ फिरा और फिर घर छोड़ कर ही भाग गया कि भाई मैं तो एक दम ठीक हो गया हूँ |यह खुजली तो मुझे किसी और न जबरदस्ती पकड़ा दी थी |
जब बात देश की चली है तो लगे हाथ कुछ और लोगों की खुजली भी मिटवा ली जाये |इन में से कुछ ओग तो ऐसे हैं कि उन्हें इतनी जोर से खुजली लगती है कि वे न तो दिन देखते हैं और न ही रात बस उन को तो खुजली मिटने से मतलब |उन्हें इस से क्या कि चाहे बच्चे हों चाहे औरते चाहे आधी रात हो डंडा ले कर रात में ही लगे अपनी खुजली मिटाने बेशक उस से भारत माता की एक वीर पुत्री बलिदान भी हो गई परन्तु उन्हें इस से क्या उन्हें तो अपनी खुजली से मतलब सो उन्होंने खुजलाया लो अब कर लो उन का क्या कर लोगे |उन्होंने तो खुजली मिटा ही ली |
ऐसे ही एक और माननीय हैं |वे तो अपनी मन मर्जी खुजली मिटने के लिए किसी को भी धमकाने लगते हैं |परन्तु चलो देशी लोगों को तो वे आसानी से धमका सकते हैं परन्तु विदेशियों को कैसे धमका सकते हो एक देशी कहावत है धिन्गों {ताकत वर } के लिए धींग बहुत मिल जाते हैं घर नही तो बाहर मिल जाते हैं सो उन्हें मिल भी गये |आखिर उन विदेशियों ने इन की खुजली पर ऐसी मलहम लगाई कि पानी मांगते फिरे और यदि इस से काम नही चलता तो वे अपने औजारों से इन की खुजली वाली खाल ही छिल कर खुजली ठीक कर देते परन्तु ये दवा से ही मान गये की भैया बस करो मेरी खुजली तो खूब ठीक हो गई है |अब आप जैसे चाहो अपनी मर्जी से अपनी खुजली ठीक करो या खुजलाओ मुझे क्या लेना देना |यह खुजली तो बड़े काम की चीज है इस से तो अब मैं भी फायदा उठाऊंगा |
इन लोगों में कुछ तो ऐसे भी हैं उन्होंने तो खुजली कर कर के ही इतनी सम्पत्ति इकठ्ठी कर ली कि जज साहब भी पूछने लगे कि अरे इस में कितनी जीरो लगेंगी इस की तो गिनती करना भी मुश्किल है |परन्तु उन्होंने जिस कलाकारी से खुजली की वह तो अनोखी ही है खुजली क्या हुई टकसाल ही हो गई जैसे २ उन की खुजली बढती वैसे २ आंधी में झरे आमों की भांति ही उन पर रुपयों की बरसात होती |उन्हें इस से क्या देश का खजाना बेशक खाली रहा पर इस खुजली ने उन के खजाने तो ऐसे भरे कि रिश्तेदारों के यहाँ भी माल रखने की जगह कम पड़ गई |
इस खजाने की बात चली है तो यह भी बड़ा संयोग है कि खजाने और खुजली दोनों के एक ही अक्षर से शुरू होते हैं उन में बड़ा सुंदर अनुप्रास है दोनों ही ख अक्षर से शुरू होते हैं खजाना भी और खुजली भी इस लिए लोगों को खजाने में खुजली और खुजली में खजाना नजर आने लगा जैसे लोग खुजली को छिपाते हैं वैसे ही इन लोगों ने खजाना भी छुपाना शुरू कर दिया और छुपाया भी ऐसे कि देश में तो पता चल जायेगा क्यों कि यहाँ कुछ संत महात्मा और एक स्वामी तो ऐसे हैं कि वे कहीं भी हो खोज ले ही लेंगे इस लिए उन्होंने इस खजाने को विदेश में छुपा दिया |पर संत और स्वामी ने वहाँ भी इस का सुराग लगा लिया जिस से इन की खुजली बढने लगी इस लिए इन माननीयों ने इन संत और स्वामी को तरह २ से धमका कर अपनी खुजली मिटानी शुरू कर दी पर वे हैं कि मानते ही नही इन के पीछे दवा ले कर ऐसे भाग रहे हैं कि जैसे उन का खजान ही ये विदेश में रख आये हैं पर जब वे दवा लगवाना ही नही चाहते हैं तो भी ये इन में हर अंग को उघाड़ २ कर जनता को बता रहे हैं कि देखो इन सुंदर लोगो को कितनी भयंकर खाज है और कहाँ २ है जिसे देख कर लोग ठीक से थू २ कर सकें |पर इन पर तो इस का असर ही नही हो रहा है |अब तो ये खुद ही लोगों के सामने अपने कपड़े उघाड़ २ कर खुजला २ कर मजे ले रहे हैं |और कह रहे हैं लो हमारा क्या कर लोगे हम तो ऐसे ही खुजलायेंगे ,दवा नही लगवाएंगे |आखिर यह खुजली कोई छोटी मोटी चीज थोड़ी है इस का तो मजा ही अलग तरह का है ये साधू और स्वामी इस मजे को क्या जाने और यदि मजे लेने हैं तो खुद भी खुजा लें |
अब जब ये लोग खुजलाने पर इतने ही उतारू हो चुके हैं तो लोगो को भी फिर से खुजली होनी शुरू हो गई है |अब वे फिर से अपनी खुजली के लिए मैदान तलाश रहे हैं कि जहाँ आसानी से खुजलाया जा सके और दवा भी लगाई जा सके खुद को भी और इन को भी |इस लिए अब देश के लोग दुगने उत्साह से एकत्रित हो कर किसी नई दवा की खोज कर रहे हैं जो एक दम असर डर हो और लगाने वालों पर भी इस का दुष्परिनाम न हो | पर सोये हुए को तो जगाया जा सकता है पर जगे हुए मक्कार को कैसे जगाया जाये ऐसे ही जब ये मक्कार चाहते ही नही कि इन की खुजली ठीक न हो तो भला कैसे ठीक हो सकती है | वे तो उलटे दवा लगाने वालों को ही डराने व धमकाने के लिए तैयार बैठे है और बीच २ में पिछली घटना भी याद दिला देते हैं कि जिन्होंने दवा लगाने का प्रयत्न किया उन की कैसी पिटाई की वैसी ही अब फिर भी हो सकती है क्यों कि उन्हें पता है कि ये लोग उन का कुछ नही बिगड़ सकते हैं इस लिए वे यूं ही कपड़े उघाड़ २ कर खुजलाते रहेंगे और देश की खुजली को बढ़ाते रहेंगे |

डॉ.वेद व्यथित
अनुकम्पा १५७७ सेक्टर -३
फरीदाबाद १२१००४
09868842688
mail- dr.vedvyathit@gmail.com



Sunday, December 11, 2011

नये देवता का अविष्कार

भारत देश में सत्य की पूजा होती रही है |इसी लिए लोगों ने एक "सत्य "नाम का देवता बना लिया और उसी की कथा भी बना ली | असल में यह कथा बनाई तो सत्य के देवता की थी परन्तु यह बन गई मक्कार व झूठे राजा और व्यापारियों की |जिस २ व्यापारी ने झूठ बोला यानि सत्य को छोड़ा उसे ही इस कथा में नुकसान उठाना पड़ा परन्तु फिर भी उन्होंने सत्य पर चलने का प्रण लेने के बजाय सत्य के देवता की मूर्ती बना कर उस की पूजा करनी शुरू कर दी |पूजा के आयोजन में झूठे व्यापारियों के किस्से सत्य कथा के रूप स्थापित कर के साथ में प्रसाद वितरण व बन्धु बांधवों को भोज करवाना भी कथा में जोड़ दिया और धीरे २ सत्य की पूजा की भक्तों ने सत्य नारायण जी की कथा करना शुरू कर दिया |
परन्तु धीरे २ इस कथा से लोग ऊबने लगे |परन्तु अपने २ पापों , कुकर्मों और दुष्कर्मों के फ्ल्पों से निजत पाने के लिए और उलटी सीधी मनोतियां यानि मांगें मनवाने के लिए फिर किसी ओसे देवता की तलाश शुरू कर दी जो इन की सभी उलटी सीधी बातें यानि मांगे आसानी से पूरी करवा दे |इसी तलाश में लोग जुट गये और सत्य -कथा से थके हरे हए धर्म भीरू वीरों में जब जब खूब असंतोष पनप गया तो उन्हें संतोष की बड़ी आवश्यकता पडी क्यों कि बढ़ते भ्रष्टाचार और रिश्वत खोरी से पड़ोसियों को देख २ कर जब सब का असंतोष ज्यादा जोर पकड़ने लगा तो उतने ही जोर शोर से संतोष की तलाश शुरू हुई ताकि उन के भ्रष्टाचार में व रिश्वत खोरी में भी वृद्धि हो सके जिस से उन्हें भी संतोष की प्राप्ति हो जाये |
इस लिए संतोष को प्राप्त करने के उपाय की खोज में इस बार देवता नही अपितु देवी की कथा शुरू हो गई दुकान दारों की गुड चने की बिक्री बढने लगी जो चीज गरीबों के लिए थी उस की भी काला बाजारी शुरू हो गई |भुने चने भी सोने के भाव बिकने लगे जो गरीब का भीड़ जरूरत में भोजन था वह ही उस से दूर हो गया उसे बिना कथा व्रत के ही संतोष मिल गया कि भईया संतोष करो गुड चना भी अब अपनी पंहुच से दूर हो गया है |
धीरे २ जब लोगो को रिश्वत और भ्रष्टाचार से हद दर्जे का संतोष आ गया यानि देश का नाम भ्रष्टाचार में भ्रष्ट देशों की सूची में जब बहुत उपर पंहुच गया तो लोग अब इस स्न्तिश से भी ऊब गये और उन्होंने संतोष से भी आगे बढने का मन बना लिया और उस से भी उपर किसी औसी वस्तु की तलाश शुरू कर दी कि जिस एक को ही बिना व्रत उपवास के खुश करने पर आसानी से सब फल और फलियाँ प्राप्त हो जाएँ क्यों कि देवी देवताओं को तो अब तक खूब बहका २ कर लोग अपना उल्लू सीधा कर ही चुके हैं इस लिए क्या पता अब वे बहकावे में आयें या न आयें इस लिए अब की बार लोगों ने सोच कि कुछ और आजमाया जाये |
इस लिए उन्होंने किसी बाबा को अपनी एक ऊँगली उपर उठाते देख लिया अब पता नही बाबा ने वह ऊँगली उपर क्यों उठाई थी यह तो रहस्य अब भी बना हुआ है क्यों कि रहस्य को रहस्य ही रहने देना चाहिए वरना गडबड हो सकती है देश में दंगे पनप सकते हैं कुछ पर साम्प्रदायिक होने का आरोप आसानी से लगया जा सकता है इस लिए इसे रहस्य बनाये रखने में ही भलाई है |परन्तु लोगो को जो कुछ काली दास जी की भांति ऊँगली का मतलब समझ आया वह बड़ा सार्थ सिद्ध हुआ बस फिर क्या था उन्हें अपने मन मुताबिक वस्तु जो मिल गई जिस का अर्थ हुआ कि बस एक सुपर हाई कमान यानि बस एक हाई कमान के इर्द गिर्द घूमों उसी के गुण गन करो ,उसी की चमचा गीरी में हद से भी आगे बढ़ जाओ इस से चाहे देश भाद में जाये समाज की ऐसी तैसी हो धर्म का सत्यानाश हो राजनीति वेश्या बन जाये या जो होना है होता रहे चाहे लोगों को रोटी मिले या न मिले ,बेशक किसान आत्म हत्या करें व्यापरी कर्ज में डूब कर फांसी खा ले ,लोग भूखे मर जाएँ देश का सारा धन विदेश में चला जाये यानि कुछ भी हो जाये बेशक सब भाड़ में चला जाये कानून नाम की कोई चीज बचे या न बचे इस सब से आप को क्या लेना देना पर आप बाबा की ऊपर उठी एक ऊँगली को देखते हुए उस के अर्थ को ठीक से समझते हुए बस एक है कमान को के गुण गन में लगे रहो उस में कटी भी कमी नही आने दो इसी सिद्धांत पर अडिग रहो इसी एक की सेवा में सब मेवा और फल मान सम्मान धन दौलत सब कुछ मिल जायेगा बस फिर क्या था इसी से प्रेरित हो कर अब लोगों ने इसी एक उठी ऊँगली वाले और सिर पर कपड़ा बांध कर रहस्य छुपाये बाबा जी को पूरे देश में प्रचारित कर दिया |यही बाबा पूरे देश में छ गये इन बाबा जी ने सभी देवी देवताओं को बुरी तरह से पछाड़ दिया अब सब जगह इन्ही की फोटो ,मूर्ती इन्ही के गीत संगीत ,नाच गाना ,धूम धडाका और पूजा आरती शुरू हो गई |
अब देखना यह है कि लोग इन्हें भी कब तक झेलते हैं और आने वाले समय में किस देवता की तलाश या अविष्कार करते हैं मुझे लगता है शायद नये देवता की तलाश हो भी चुकी है मुझे इस के कुछ २ संकेत मिल भी गये हैं क्यों कि जहाँ न पंहुचे रवि वहाँ २ मैं तो पंहुच ही सकता हूँ क्यों कि मैं भी तो बहुत पंहुची चीज हूँ |क्यों कि अब तकनीक का जमाना है रद्दी कागजो में चिपके रहने का जमाना गया और न ही अब मोती २ पोथी पढने का किसी के पास समय है इस लिए अब तो तकनीकी देवता देवता की आवश्यकता है और वह भी कम से कम समय में काम करने वाले देवता की |
इस लिए अब तकनीकी देवता का अविष्कार लोगों ने कर भी लिया है बेशक आप अभी उस के महातम यानि महत्व से अनजान हों चलो पर हमारी संस्कृति सब का भला चाहने की है इस लिए आप को भी इस का नाम बताये देता हूँ क्यों कि इस के प्रचार प्रसार से मुझे भी पुन्य लाभ प्राप्त होगा इस लिए आप भी ध्यान से सुन लो इस का नाम है -एस एम् एस देवता यह सब कामनाएं पूर्ण करता है यह आप का जो सब से प्रिय काम किसी को फंसने को होता है वह भी करवा सकता है लाटरी निकवा सकता है इस की कृपा से चुपचाप सौदे बाजी हो सकती है और किसी को कानो कान खबर भी नही लगती है इस की कृपा से किसी भी शहर में कहीं भी किसी भी समय आप की दिन या रात की मांग पूरी हो सकती है आप की छोटी मोती रोज मर्रा की हर जरूरत पूरी हो सकती है यह आप की हर मनोती बिना समय बर्बाद किये पूरी कर देता है ||
अब आप को इस को मनाने के लिए करना क्या है इसे खुश करने के लिए ज्यादा पापड़ बेलने की भी जरूरत नही है न व्रत रखना है न ही उपवास कर के भूखा मरना है न आरती का झंझट न शोर न शराबा न धूम न धड़ाका न कथान पूजा इसे प्रसन्न करने के बहुत ही सरल उपाय हैं बस करना क्या है रोज की ही तरह जब आप नौ दस बजे सुबह २ जल्दी से उठे तो उठते ही बिना बेड टी पिए सब से पहले आप को जगह २ दस बीस एस एम् एस करने पड़ेंगे इन्हें आप नियमित त्रिकाल संध्या की भांति बिना भूले याद कर के करना पड़ेगा पर यदि जरूरी हाजत हो रही हो तो उसे निबटा ले नही तो गडबड हो जाएगी इस में समझौता मत करना |वैसे इस के समय का भी कोई बंधन नही है खाते पिटे सोते बैठते उंघते जागते मुस्कराते ,रोते पिटे खिसियाते डांट दिखाते और जब भी चाहे मन मर्जी समय और सुविधा के अनुसार कभी भी कर सकते हैं और आआगे अपने मित्रों से भजें के लिए जरूरी कह देब कि आप ने यदि इसे अपने दस मिर्तों को भेजा तो आप हर काम सफल हो जायेगा |पुलिस आप से कम से कम हप्ता वसूलेगी जे ई से ले कर नेता जी तक आप से कम से कम म्किष्ण मांगेंगे लोग आप कि शिकायत नही करेंगे घर वाली आप से प्रसन्न रहेगी आप कि घर के काम करने वाली कभी आप के घर का काम छोड़ कर नही जाएगी बच्चे आप का काम हल्का कर देंगे वे अपने हिसाब से अपना काम कर लेंगेदफ्तर में आप को बॉस नही डांटेंगे आप जिसे घरवाली से चोरी छुपे मिलते है वह आप को रोज मिलने का प्रयत्न करेंगे आदि २ और यदि आप ऐसा नही करेंगे तो बस फिर आप की खैर नही है सारे काम आप के उलटे हो जायेंगे |
बेशक आप कोई गलत काम करेंगे भी नही तो भी आप पर चार जून की घटना जैसे कहीं भी पुलिस की लाठी पड़ जाएगी बेशक आप खूब ईमानदारी से काम करें फिर भी सरकार आप को किसी न किसी तरह से फंसा ही लेगी आप पर कई तरह के केस बनवा देगी और कुछ नही तो इनकम टेक्स में ही फंसा देगी या किसी गुंडे से ही पीत्वा देगी आप का मकान दुकान कुछ भी बिना बात गिरवा देगी आदि २ |
इस लिए आप से प्रार्थना है कि आप ज्यादा से ज्यादा एस एम् एस भगवान के प्रचार प्रसार में सहभागी बन कर पुन्य लाभ प्राप्त करें अपने सभी उलटे सीधे कामों को आसानी से बना ले और इस लोक में खूब मजे लूटें मरने के बाद की बात छोडो मरने के बाद कौन लौट कर आता है जो तुम्हे बताये कि क्या होता हैपर मरने पर परलोक की गति को आसानी से प्राप्त करें क्यों कि हमारे यहाँ कर्म फल का सिद्धांत तो सर्वोपरी है ही इस लिए एस एम् एस कर के अपने कर्म फलों को खूब अच्छा बनाते हए मजे करें तो सब बोलो - भगवान एस एम् एस जी की जय ||
डॉ. वेद व्यथित
०९८६८८४२६८८

Thursday, December 1, 2011

ओ हिम सुन्दरी !

ओ हिम सुन्दरी !
एक नया नाम दे दिया तुम ने
उस चट्टानी पर्वत को
और तुम्हारे अपनाने से
ख्यात हो गया वह
तुम्हारे नाम से
जिस के कारण ही
पत्थर के बजाय
बन गया वह -
हिमालय या हिमवान ||
ओ हिम सुन्दरी !
तुम ने ही कर दिया उसे रससिक्त
जिस के कारण निसृत हुई
उस के हृदय से
अमृतोपम निर्झरी
जो साक्षात् तुम ही थीं
सोचता हूँ !
यदि तुम नही अपनाती उसे
तो पत्थर ही बना रहता वह
कठोर और तप्त पत्थर
परन्तु तुम ने अपना रूप दे कर
रुपहला बना दिया उसे
बेशक ,
उसे रुपहला बनाये रखने के लिए
तुम और भी सहती रहीं
भयंकर शीत को
ताकि तुम्हारा प्रेमांचल
मिलता रहे उसे निरंतर
फिर भी कहाँ छोड़ा तुमने
अपना स्त्रीत्व व सतीत्व
जिस के कारण मिला उसे शिवत्व
और नत हो गई जगती
उस के प्रति |
ओ हिम सुन्दरी !
धन्य कर दिया तुम ने उसे
क्यों कि
अपना अस्तित्व खो कर भी
प्रकट होती रही तुम
कभी उस के शिवत्व में
कभी अमरत्व में
और कभी जीवन के कण कण में
ओ हिम सुन्दरी ||

Wednesday, November 16, 2011

फिर अंधियारी रात हो गई |

अभी अभी तो दिन निकला था
सूरज अठखेली करता था
पता कहाँ चल पाया मुझ को
इतनी जल्दी साँझ हो गई
दिन बीता सपने सा खाली
फिर अंधियारी रात हो गई ||

दीख रहा था अभी सामने
हाथ बढ़ा कर छूना चाहा
पर माया मृग बन कर खुद को
खुद से दूर बहुत ही पाया
कहाँ कहाँ ढूँढा फिर खुद को
सब कोशिश बेकार हो गई ||

आँखों का विश्वास यदि मैं
कर भी लूं तो नादानी है
बिना बताये कहाँ उलझ लें
वे पीड़ा से अनजानी हैं
उन का क्या वे उलझ २ कर
मुझ को कितनी पीर दे गईं ||

मुस्कानों से दूर रहूँ तो
मरघट सा जीवन लगता है
यदि उलझता मुस्कानों में
नही भेद उन का चलता है
जितना उलझन को सुलझाया
उलझन उतनी और हो गई ||

आखिर तो वे मेरे सपने
साथ कहाँ तक दे पाएंगे
आखिर इन का लिए सहारा
कितने से दिन कट पाएंगे
फिर भी जीवन की अभिलाषा
सांस सांस की आस हो गई ||

Sunday, November 13, 2011

हम न लीक बनाई क्यों है

हम न लीक बनाई क्यों है

मौन साधना भंग हुई तो
इस में शब्द कहाँ दोषी हैं
नभ से तारा टूट गिरा तो
इस में वह कहाँ दोषी है

दोष दूसरों को देने की
हम ने लीक बनाई क्यों है ||

आखिर कितनी देर रहे दिन
सूरज को भी ढल जाना है
रात चांदनी भी ढल जाती
और अमावस को आना है

फिर अंधियारे से नफरत की
जाने रीत बनी क्यों है ||

जो भी रंग आकर्षित करते
सारे फीके पड़ जाता हैं
कितने आकर्षित यौवन हो
सारे ढीले पड़ जाते हैं
फिर क्यों बेरंगी सांसों से
दूरी खूब बनाई क्यों है ||

Monday, November 7, 2011

देवताओं का जागना

बन्धुवर निरंतर आप का स्नेह मिल रहा है इसे बनाये रहिये यह व्यंग देवताओं के सोने और जागने के मिथक से जुड़ा है पर आस्तिकता को श्रद्धा पूर्वक नमन करते हए लिखा है
आप का स्नेह इसे भी मिलेगा |


देवताओं का जागना
अच्छे भले देवता लोग सो रहे थे |चारों ओर शांति थी न कहीं शोर न शराबा ,न ढोल न नगाड़ा ,न बाजा न ढोलक ,न हाय न तोबा न वाहनों में भीड़ न सडकों पर भीड़ लोग अपने २ कामों में अच्छे भले लगे हुए थे |जिन्दगी आराम से अच्छी भली चल रही थी |परन्तु जैसे २ देवताओं की नींद टूटने सी लगी लोगों में काना फूसी होने लगी |आखिर एक दिन देव पूरी तरह से जाग गये यानि देवोत्थान हो गया |
देवता क्या जगे ,लगा जैसे अशांति ही जाग गई |लोगों के बहुत सारे काम इसी इंतजार में रुके हुए थे कि कब देवता जगे और कब वे अपने काम शुरू करें जैसे मानो वे कुछ कर ही नही रहे हैं अब न तो वे खा रहे हैं न पी ही रहे हैं न सो रहे हैं न जाग रहे हैं |पर इन में से तो उन्होंने देवताओं के जागने तक एक भी काम नही रोका हुआ था सब काम दिन प्रतिदिन कर रहे थे |कई बार खाते थे कई बार जंगल या दिशा मैदान जाते थे परन्तु ऐसा कौन सा काम था जो वे नही कर रहे थे या जिस पर देवताओं ने पाबंदी यानि प्रतिबन्ध लगाया हुआ था मुझे तो समझ नही आया क्यों कि जब उन के सोते रहने पर खा पी सकते थे जन्म मरण सब हो सकते थे तो फिर देवताओं के जागने का भला किस बात का इंतजार कर रहे थे जो देवताओं के जगे बिना नही हो सकता था |
परन्तु यहाँ के लोग ठहरे डरपोक कि यदि कुछ आवश्यक या बड़े काम देवताओं के सोते हुए कर लिए तो देवताओं की नींद खुलने पर वे नाराज हो जायेंगे और फिर उन की नाराजगी से सूरज नही निकलेगा या धूप नही आएगी जिस के डरके मारे लोग काम बंद कर देंगे परन्तु देवताओं के सोये हुए तो धूप भी खूब अच्छी आती थी वरिश भी होती थी रिम झिम फुहार भी पड़तीं थीं |परन्तु देवताओं के जागने पर तो धूप भी कम हो जाती है सर्दी भी पड़ने लगती है कोहरा छाने लगता है रास्ते बंद होने लगते हैं परन्तु फिर भी देवों के जागने का इंतजार हम सब बड़ी बेसब्री से करते रहते हैं |यह बात अलग है कि हमारे इस डर का फायदा बाहर के लोगों ने खूब उठाया और अब भी उठा रहे हैं |
आखिर जब देवता जाग ही गये तो जैसे भूखा पशु चारे को देखते ही एक दम भागता है ऐसे ही लोग भी उन कामों के लिए भागे जो उन्होंने रोके हुए थे | इन में सब से बड़ा काम था लडके लडकियों की शादी - विवाह का जो जैसे तैसे रोके हुए थे जो शरीफ थे रुके भी पर सब कहाँ रुक सकते थे कुछ इधर उधर हो भी गये जो रह गये तो देवताओं के जागते ही लोगों ने सब से पहला शादी ब्याह का ही शुरू किया कभी जो रुके हुए थे वे इधर उधर भाग भूग न जाये |इस लिए लोगों ने तुरंत शादियाँ शुरू कर दी |
अब क्या था जिधर देखो शोर ही शोर " हाय रब्बा ...हाय रब्बा "गाने कि इतनी हाय तोबा की पूछो मत |जिस का परिणाम यह हुआ कि इन दिनों न तो कोई वेंकट हाल यानि बरात घर या धर्म शाला खाली मिलती है न घोड़ी वाले न बाजे वाले न ही हलवाई और तो और बरातियों का भी टोटा पड़ जाता है जो भी मिलता है औने पाने दाम मांगता है पर इस का फायदा क्या परन्तु फिर भी सिर मुड़वाना पड़ता है |
लोग शादी में प्रीती भोज भी रखते हैंपरन्तु एक ही दिन भला आदमी कितने प्रीती भोज खा सकता है |यदि ये प्रीती भोज अलग २ दिन हों तो भोज खाने का कितना मजा आता माल पर खूब हाथ साफ़ किया जाता परन्तु लोग तो सोचते हैं कि देवों के जागते ही ज्यादा से ज्यादा शादियाँ कर लो जैसे बाद में नम्बर ही नही आएगा या लोग कोई दौड़ जीत लेंगे और तुम पीछे रह जाओगे इस लिए पहले ही दिन लोग होड़ लगा २ कर शादियाँ ब्याह निपटने की फ़िराक में रहते हैं कि कहीं देवता कल ही फिर न सो जाएँ फिर बताओ खाने का मजा कैसे आये परन्तु पैसे तो कई २ जगह जमा करने ही पड़ते हैं परन्तु खाना एक भी जगह ठीक से नही खाया जाता है परन्तु हो क्या सकता है क्यों कि देवता तो अभी २ जागे हैंबस थोड़े दिनों के लिए और लोग हैं कि ऐसे इंतजार करते हैं जैसे देहली के स्टेशन पर बिहार की ओर जाने वाली गाड़ी का भीड़ इंतजार करती है और आते ही जिस पर बुरी तरह टूट पडती है कि कहीं यह छूट न जाये |
अब लोगों को कौन समझाये कि देवता न तो सोते हैं न जागते हैं | वे तो सदा ईश्वर के आधीन काम करते हैं जैसे सूरज यदि सो जाये तो दिन कैसे निकले और रात कैसे हो इसी तरह यदि इंद्र देवता सो जाएँ तो वारिश कैसे हो आदि २ पर ऐसा तो होता नही कि कुछ देवता सो जाएँ और कुछ जागते रहें क्यों कि ऐसा प्रमाण किसी पुराण आदि में नही मिलता है यदि ऐसा हो तो जागने और सोने बाले देवताओं की बारी भी बदल २ आये कि एक बार तुम जागो और दूसरी बार हम जागेंगे परन्तु ऐसा होता नही है |
वैसे लगता है देवता न तो सोते हैं और न ही जागते हैं अपितु लोग ही उन्हें जबरदस्ती सुला देते हैं और फिर अपनी सुविधानुसार जगा लेते हैं इस बीच कई बड़े २ काम उन के सोते २ ही चुप चाप उन्हें बिना बतये या जगाये ही कर भी लेते हैं |अब पता नही देवताओं को इस का पता चलता भी है या नही या मनुष्य चालाकी से पता ही न चलने देते हों |यह भी हो सकता है कि देवता ही सोते हों देवियाँ न सोती हों इसी लिए तो देवताओं के सोने के बाद ही चुपके से मनुष्य देवियों का पूजन कर लेते हैं क्योंकि यदि देवता जागते रहें रहें तो तो भला वे देवियों को क्यों पूजने दें वे भी मनुष्यों से कम थोड़ी हैं जैसे मनुष्य अपनी पत्नी को आगे बढने से प्रसन्न नही होते देवता भी वैसा ही जरूर करते होंगे क्यों कि वे भी तो पुल्लिंग हैं इसी लिए तो लोग देवताओं के सोते हुए ही देवियों को प्रसन्न करने के लिए बहुत से उपाय करते हैं जैसे देवियों के लिए वे कन्या पूजन कर लेते हैं देवियों को खूब हलवा पूरी बना २ कर प्रसाद चढाते हैं रात २ भर देवियों के लिए जागरण करते हैं करवा चौथ , अहोई माता का पूजन और सब से ज्यादा लोगो के लिए महत्व पूर्ण लक्ष्मी देवी का पूजन भी देवताओं के सोते २ ही कर लिया जाता है लक्ष्मी देवी जी के पूजन के लिए तो खूब ताम झाम किया जाता है घर द्वार सब रोशन किया जाता है बिजली की झालरे या लड़ियों से घर बाहर सजाया जात है घी तेल के दिए जलाये जाते हैं खूब रिश्ते नाते दारों को व अडोसी पडौसियों को मिठाइयाँ बांटी और खिलाई जाती हैं |नये २ बढिया २गिफ़्त यानि उपहारों का खोब लेना देना होता है बड़े अफसरों नेताओं के घर इसी बहाने खूब लक्ष्मी बरसती है रिश्वत का खुला खेल इसी बहाने खूब चलता है | इस से आप स्वयम अनुमान लगा सकते हैं कि देवियों का देवताओं से कितना अधिक महत्व है |
अब जब देवियों का खूब पूजन आदि हो चुकता है तब देवताओं को जगाया जाता है क्यों कि अब देवताओं के घर में तो पूरी सेंध लग ही चुकी होती है |फिर देवताओं की खूब प्रशंसा की जाती है कि हे देवताओं जागो हम तो आप के जागने का कितने समय से इंतजार कर रहे हैं कि आप जगे तो हम अपने महत्व पूर्ण काम कर सकें आप के जागने के इंतजार में वे सब काम हम ने आप के लिए ही तो रोक रखे हैं |फिर उन्हें खुश या प्रसन्न करने के लिए तरह २ उपाय किये जाते हैं |शादी ब्याह आदि शुरू कर देते हैं खूब ढोल नगाड़े गाजे बजे बजाने लगते हैं ताकि देवताओं को खूब बहकाया जा सके साथ ही बरात आदि निकल कर भी खूब शोर किया जाता है इस से देवता भी शायद खूब खुश होते होंगे कि ये मनुष्य कितने अच्छे हैं जो हमारे सोये रहने पर कोई काम नही करते हैं अपितु हमारे जागने का इंतजार करते रहते हैं और जब हम जाग जाते हैं तभी अपने काम शुरू करते हैं परन्तु उन्हें क्या पता कि लक्ष्मी देवी जी के पूजन जैसे काम तो उन्होंने देवताओं के सोते २ ही निपटा लिए हैं ताकि उन्हें पता भी न चले और काम भी बन जाये क्यों कि देवताओं पास वैसे है भी क्या असली माल तो देवियों के पास ही होता है जैसे धन - दौलत ,विद्या -बुद्धि ,शक्ति आदि सभी कुछ तो वास्तव में देवियों के पास ही होती है इस लिए लोग चालाकी से देवताओं को सोये हुए ही चुपचाप अपना काम निकल लेते हैं कभी देवता अपनी देवियों को ये सब न देने दें इस लिए मनुष्य चालाकी से देवियों की पूजा पहले ही कर के लक्ष्मी जी से माल अपने कब्जे में कर लेते हैं |फिर उस में से ही थोडा बहुत खर्च कर के देवताओं को सस्ती २ सी चीजों से ही खुश कर देते हैं उन के पूजन के लिए मिष्ठान के बजाय सस्ते २ से मूली सिंघाड़े जंगली बेर खेत से तोड़ कर लए गये गन्ने आदि से पूजन कर के उन्हें खुश कर देते हैं जब की देवियों के लिए खूब माल बनाते हैं घर सजाते हैं |
अब पता नही यह बात देवताओं को कब पता चलेगी या लोग उन्हें पता भी चलने देंगे या नही या वे देवताओं को यूं ही सुला जगा कर a बहका कर चुप चाप लक्ष्मी आदि का पूजन करते रहेंगे चलो देवी देवता तो अपने आप भी सोते जागते रह सकते हैं पर मनुष्य पता नही कब जागेंगे वैसे देश की परिस्थियों को देखते हुए अब तो उन्हें जाग ही जाना चाहिए |
डॉ वेद व्यथित
अनुकम्पा -१५७७ सेक्टर ३
फरीदाबाद १२१००४
०९८६८८४२६८८

Wednesday, November 2, 2011

हम नई लीक बनाई क्यों है

हम ने लीक बनी क्यों है

मौन साधना भंग हुई तो
इस में शब्द कहाँ दोषी हैं
नभ से तारा टूट गिरा तो
इस में वह कहाँ दोषी है

दोष दूसरों को देने की
हम ने लीक बनाई क्यों है ||

आखिर कितनी देर रहे दिन
सूरज को भी ढल जाना है
रात चांदनी भी ढल जाती
और अमावस को आना है

फिर अंधियारे से नफरत की
जाने रीत बनी क्यों है ||

जो भी रंग आकर्षित करते
सारे फीके पड़ जाता हैं
कितने आकर्षित यौवन हो
सारे ढीले पड़ जाते हैं
फिर क्यों बेरंगी सांसों से
दूरी खूब बनाई क्यों है ||