Tuesday, March 15, 2011

होली

ननुआ ने तो भंग चढाई धोती फाडी ललुआ ने
कर रुमाल धुतिया के भइया ताल लगाई कलुआ ने
दिल्ली चौंकी सब जग चौंका खूब सुनाई दिगिया ने
बड़ी मम के गिर चरणों में धोक लगाई मनुआ ने ||

चीनी मिल रही पांच रूपया कडुआ तेल मुफ्त में है
दाल मिल रही दो दो रूपया रोटी संग मुफ्त में है
कैसा सुंदर राज है भइया होली खूब मनाओ जी
हाथों को मलते रह जाओ लाली खूब मुफ्त में है ||

गौरी को s m s भेजा आओ रंग बरसायें
बिन पानी के नीले पीले सारे रंग बरसायें
पहले मैं भेजूंगा मैसिज फिर तुम भी भिजवाना
अब के s m s की होलो फोन में खूब मनाये ||

भाभी ने देवर को भेजा sms का गुलाल
देवर ने भाभी पर डाला फोन में रंग गुलाल
होली के सब रंग बिखर गये हुए न शर्ट खराब
न देवर ने कोड़े खाए गाल न हुए गुलाल ||

जमाने बदल गए हैं बहाने बदल गये हैं
दुनिया बदल गई है गाने बदल गए हैं
दिल भी बदल गया है दीवाने बदल गये हैं
बस फर्क है कि इतना खत sms में बदल गये हैं ||

मिस काल कर रहे हैं संदेश भेजते हैं
ई मेल से ही प्यारा सा खत भेजते हैं
अब यंत्र ही साधन इस पर प्यार निर्भर
इस यंत्र से ही अपना वो प्यार भेजते हैं

3 comments:

Satish Saxena said...

होलियाई कविता ...:-))
शुभकामनायें डॉ वेद व्यथित !

​अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhan said...

बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति है आपकी. होली का सटीक चित्रण किया है आपने. होली की हार्दिक शुभकामनाएं

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

क्या खूब अंदाज है - अबके होली में.
मजा आ गया.
मन बरसे - रंग बसरे