हरेक बच्चा नही आता है
कक्षा में प्रथम
और हरेक का दूसरा या तीसरा
स्थान भी नही आता है कक्षा में
तो क्या इस का मतलब है
प्रत्येक बच्चे को नही होता है
आसानी से अपना पाठ याद
जैसे युधिष्ठिर को लग गये थे
दो शब्द याद करने में वर्षों वर्ष
और बालक मोहन दास भी
नही आया था कक्षा में प्रथम
परन्तु क्या दोनों को
कहा जा सकता है बुद्धू ,कमजोर
या ऐसा ही कोई शब्द
कदापि नही
तो फिर जीवन की परिभाषा
मात्र शाब्दिक रटंत परीक्षा
नही हो सकती
और न ही यह बना सकती है
कबीर ,सूर और मीरा
जिन्होंने जीवन की चादर को
बेदाग ओढा और बिना परीक्षा दिए ही
उत्तीर्ण हो गये कठिन परीक्षा में
2 comments:
तो फिर जीवन की परिभाषा
मात्र शाब्दिक रटंत परीक्षा
नही हो सकती
और न ही यह बना सकती है
कबीर ,सूर और मीरा
जिन्होंने जीवन की चादर को
बेदाग ओढा और बिना परीक्षा दिए ही
उत्तीर्ण हो गये कठिन परीक्षा में
इसीलिये अक्सर कछुआ ही रेस जीतता है……………एक उम्दा और शानदार प्रस्तुति।
hi sir apka sara topic bhot acha hai . saab ka bhot sweet meaning hai
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