Friday, April 2, 2010

फ़ोन विहीन नेता जी

नेता जी चिंतन कर रहे थे देश कीसमस्याओं में उलझ रहे थे उन में गहराईसे डूब रहे थे इसी गहराई में चिन्तन करते करते देश का बहुत उद्धार कर दिया दुनिया भर का निर्माण कर दिया ऊँची २ इमारतें बना दी बड़े २ बांध बना दिए नदियों पर पुल बना दिए ऐसा ही पता नही क्या २ हवा में बना दिया देश का तो इन चिन्तन के क्षणों में नकशाही बदल दिया
इसी तन्द्रा यानि चिन्तन में एक चमचा प्रकट हो गया नेता जी के कार्यों पर गर्व से उस का सिरनेता जी चरणों पर झुकाया फिर उस ने अपना चमचा धर्म निभाया उस ने नेता जी से इस निर्माण के उदघाटन की प्रार्थना की और कहा आप ने देश पर कितना उपकार किया है देश की जनता का कल्याण किया है अब आप देर मत करें आप के हाथ में जो नारियल है उसे तोड़े जोर से सडक पर पटक कर फोड़ें और इस सरे हवाई निर्माण का उद्घाटन करें बस फिर क्या था नेता जी ने अपना धर्म निभाया उद्घाटन करने को हाथ में पकड़ा नारियल जोर से दे मारा नारियल टुकड़े २ हो गया परन्तु तेज आवाज से नेता जी का चिन्तन भंग हो गया क्यों की न तो वहाँ कोई उद्घाटन था और न ही नारियल था उन के हाथ में तो उन का सेल फोन था जो चिंतन में नारियल हो गया था और जोर से पटकने पर टुकड़े २ हो गया था दूर २ तक बिखर गया था नेता जी का चिन्तन भंग हो गया था
फोन क्या टूटा नेता जी फोन हीन हो गये नेता जी फोन हीन क्या हुए गजब हो गया जैसे युद्ध में योद्धा शस्त्र हीन हो जाये ,फ़ौजी सीमा पर बिना बंदूक के तैनात कर दिया जायेसिपाही से उस का डंडा छीन लिया जाये मजदूर को बिना औजार काम पर लगा दिया जाये पत्रकार को खबर न लिखने दी जाये लेखक से कलम छीन ली जाये ड्राइवर को गाडी न चलाने दी जाये रेल को सिंग्नल न दिया जाये हीरो को विलं की पिटाई न करने दी जाये विलं को गुंडा गर्दी न करने दी जाये प्रेमिका को प्रेमी संग बात न करने दी जाये प्रेमी को प्रेमिका के चक्कर में बिना पीते छोड़ दिया जाये पत्नी को पति आँख न दिखने दी जाये औरतों को चुप रहने के लिए कहा जाये बच्चों को शरारतों से रोका जाये अध्यापकों को टूशन न पढ़ने दी जाये स्टेशन पर चाय वालों को चाय २ का शोर न मचाने दिया जाये या और जो २ भी ऐसा कुछ भी आप के दिमाग में आये वह सब फिर आप अंदाजा लगायें की तब क्या हो सकता है ठीक वही हालत बिना फोन के नेता जी की हो गई जैसे जल बिन मछली की दशा होती है चकोर की चाँद के बिना होती है चातककी बिना स्वाती जल के होती है सूर्य की पूर्ण ग्रहण के समय होती हैचन्द्रमा जैसे बिना चांदनी के होता है नदियाँ बिनाजल के जैसे होती हैं समुद्र बिना जल के जैसे होता बस ऐसी ही हालत नेता जी कीबिना फोन के हो गई भला आज के समय में फोन हीन नेता भी कोई नेता हो सकता है कदापि नही तो
परन्तु अब क्या हो बिना फोन नेता ,नेता नही होता क्यों की फोन हीन नेता तो लोक तन्त्र के लिए बहुत बड़ी हानि हैनेता जी फोन ही तो इस लोकतंत्र की चाबी है जैसे कार बिना ड्राइवर के नही चलती बल्व या तुब जैसे बिना लाइट के नही जलती जुआ खेले बिना जैसे कोई जुआरी नही होता शराब पिए बिना जैसे कोई शराबी नही होता ऐसे ही भला बिना फोन के नेता भी नेता नही होता और बिना नेता के भला लोकतंत्र भी कोई लोकतंत्र रह सकता है कदापि नही
इसी लिए कुछ देर के लिए लोक तन्त्र पर खतरा मडराने लगा वह अपनी सार्थकता यानि लोकतंत्रिकता खोने लगा यानि लोकतंत्र फेल होने लगा वह लोकतंत्र न रह कर कुछ और होने लगा क्यों की लोक तन्त्र के रहने पर शहर में सोने की चैन लुटेरों को चोरों को डैकेतों को पुलिस ने पकड़ लिया और ठाणे में बंद कर दिया उन के हित चिंतक लोग लोकतंत्र में अपना हक मागने नेता जी के पास पहुंचे और बोले अपना वायदा निभाओ हमारे काम आओ तुरंत पुलिस को फोन करो हमारे आदमियों को छुड वाओ पुलिस वालों को धमकाओ थानेदार का तबादला करवाओ उसे लाइन हाजिर करवाओ परन्तु आज नेता जी का हथियार उन पर नही था वह नारियल सा उदघाटित हो गया था अब फोन हें नेता जी क्या करें पुलिस को फोन कैसे करें कैसे उन्हें धमकाएं और अपने समथको को कैसे छुडाएं इसी बीच एक बड़े दान दाता के यहाँ इनकम टेक्स की रेड पद गई अरबों दो नम्बर का रुपया पकड़ा गया इस्पेक्टर अरबों की जगह लाखों दिखाना चाहता था परन्तु यह तो उन की बेइज्जती थी उन्होंने कहा कम से कम करोड़ों तो दिखाओ क्यों की बाद में तो मिल ही जाना है इस बात पर दोनों में तकरार हो गई ददन दाता ने नेता जी को फोन मिलाया परन्तु नेता जी का फोन तो उद्घटित हो चुका था मिलता कहाँ से आज तो नेता जी फोन हीन थे इस लिए उन्होंने अपना आदमी दौड़ाया परन्तु नेता जी बिना फोन के असमर्थ हो गये यानि बिना के लोकतंत्र के प्रहरी निरस्त हो गये
शहर में और भी कई जगह हलचल हुई लुचे लफंगे काम चोर कर्मचारी बेईमान भ्रष्ट अधिकारी सभी की आफत आ गई नेता जी फोन हीन क्या हुए लोकतंत्र पर बड़ा कुठारा घात हो गया आखिर लोकतंत्र के प्रहरी का एक ही तो काम होता है अपने गुलाम अफसरों को फुनवनाउनको डरना धमकाना तबादले करवाने का कह कर डरना इमानदार पुलिस वालों को लाइन हाजिर करवाना अपने मन माफिक काम करने वाले अफसरों को मन पसंद जगह तैनात करवाना आदि आदिलोकतंत्र के सभी काम रुक गए क्यों की ये सरे काम ही तो नेता जी के फोन से होते हैं विभाग के अधिकारी तो मात्र क्ग्जी कार्यवाही कर के हस्ताक्षर भर करते हैं लोक के तन्त्र का असली काम तो नेता जी करतें हैं इस लिए लोक तन्त्र की रक्षा के लिए कृत संकल्प नेता जी के चमचों ने तुरंत फोन का इंतजाम किया तब जा कर कहीं फिर से लोकतंत्र चालू हुआ
इसी लिए आगे से ध्यान रखा गया की सरकार की ओर से लोकतंत्र की रक्षा के लिए नेताओं को फोन के साथ २ कम्प्यूटर लेपटोप आदि सुविधाएँ भी दी गईं बच्चों केवन्य परिवार वालों के लिए नेता जी के साथ २ उन्हें भी सरकारी गाड़ियाँ भी दे दी गईं ताकि लोकतंत्र चलता रहे लोकतंत्र को ठीक से चलाने के लिए नेताओं के इर्द गिर्द सुविधाओं व सहूलियतों का जल बिछता और बढ़ता रहे लोकतंत्र सुरक्षित रहे
जय लोकतंत्र जय नेता जी जय फोन बाबा की
डॉ. वेद व्यथित
email id: dr.vedvyathit@gmail.com
bog: http://sahityasrajakved.blogspot.com
१५७७ सेक्टर ३ फरीदाबाद -१२१००४

1 comment:

SAJAL SINGH said...

in reality world ,you are doing a commendable job by writing all this and awaring about the truth of humanism ,existing around the world and in all type of myths