पत्रकारिता दिवस पर मेरे प्रश्न
मैं अपने पत्रकार बन्धुओं को आज पत्रकारिता दिवस पर हार्दिक बधाई देता हूँ
इस अवसर पर मैं यह भी पूछना चाहत हूँ कि क्या पत्रकारिता आज राष्ट्रिय मुद्दों पर इमंदारना ढंग से पुन लेत सकती है जो बन्धु मानवाधिकारों के नाम पर देशद्रोहियों का पक्ष रखती है क्या वह राष्ट्रिय पत्रकारिता हो सकती है यह सीधा २देश द्रोह नही तो और क्या है
इस के अतिरिक्त हिन्दू समाज कीछोटी से छोटी घटना को भी पूरे हिन्दू समाज पर आरोपित कर के हिन्दू धर्म को बदनाम करने का जो षड्यंत्र आज हो रह है क्या आज उस का प्रतिकार हो सकेगा
अन्य मतों की बुरी से बुरी कुरीति भी मत के नाम पर आज पत्रकारिता में माफ़ की जा रही हैंक्या उस समय पत्रकारिता की धर चुक जातीहै
एक चौनल से पत्रकार बन्धु ने तो इतना सफेद झूठ बोला की हद हो गई उन का कथन है किमनु स्मृति में शूद्र के कान में सीसा डालने का लिखा है जब कि किसी भी मनु स्मृति में ऐसा नही है यह सफेद झूठ पता नही कब से इस देश में वैमनस्य पैदा करने के लिए चलाया जा रहा है जब कि यह एक डीएम सफेद झूठ है
इसी तरह हमारी सेना को बदनाम करने के लिए उस के खिलाफ समाचारों को प्रमुखता देना भी क्या देश द्रोह नही है सेना के किसी जवान से गलती हो सकती है पर उस का यह मतलब तो नही कीसेना इ गलत हो गई
क्या उन्हें यह नही दीखता की सेना किन परिस्थितियों में काम करती है अपना ह्ग्र्बर ऐश आराम छोड़ कर मित के सामने क्या इतनी आसानी से कोई खड़ा हो सकता है
मेरा निवेदन है की कम से कम राष्ट्रीय पर तो महरबानी रखें
इस के साथ २ क्या चैनल अपने विरूद्ध टिप्पणियों को भी दिखने का कोई जरिया बना सकते हैं जब आप दूसरों की आलोचना करते हैं तो अपनीं आचना क्यों शं नही कर सकते यदि नही कर सकते तो आप इसे स्वतंत्र मिडिया कैसे कह सकते हैं
यह तो आप की मनमानी ही रही जो हो भी रही है
मुझे पता है इस का किसी पर कोई असर नही पड़ेगा पर प्रश्न करने का तो मेरा अधिकार है
पुन:बधाई
डॉ.वेद व्यथित
1 comment:
बिलकुल सही बात है की अगर शालीनता से की गयी आलोचना को हम सुन नहीं सकते और उसपर सोच विचार नहीं कर सकते तो हमारे नियत में ही कहीं न कहीं खोट है | अपने कार्य पर तर्कसंगत आलोचना का हमें हार्दिक स्वागत हमेशा करना चाहिए तब जाकर हम कुछ अच्छा और नेक काम कर पाएंगे |
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