Sunday, February 21, 2010

Holi

ननुआ ने तो भंग चढाई धोती फाड़ी ललुआ ने
कर रुमाल धुतिया के भैया ताल लगे कलुआ ने
दिल्ली गूंजी सब जग गूंजा खूब सुने अगुआ ने
बड़ी में के गिर चरणों में धोक लगाईं मनुआ ने

चीनी मिल रही पांच रुपया कडुआ तेल मुफ्त में है
डाल मिल रही दो दो रुपया रोटी संग मुफ्त में है
कैसा सुंदर राज है भैया होली खूब मनाओ जी
हाथों को मलते रह जाओ लाली खूब मुफ्त में है
डॉ.वेद व्यथित
१५७७- सेक्टर -३ फरीदाबाद -१२१००४
http://sahityasrajakved.blogspot.com
dr.vedvyathit@gmail.com

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