Wednesday, February 24, 2010

स्त्री

स्त्री
पुरुष यानि व्यक्ति
जो सो सकता है पैर फैला कर
सारी चिंताएं हवाले कर
पत्नी यानि स्त्री के
और वह यानि स्त्री
जो रहती है निरंतर जागरूक
और देखती रहती है
आगम की कठोर
नजदीक आती परछाईं को
और सुनती रहती है
उस की कर्कश पदचापों की आह्ट
क्योंकि सोती नही है रातरात भर
कभी उद्हती रहती है
बुखार में कराहते बच्चे को
या बदलती रहती है
छोटे बच्चे के गीले कपड़े
और स्वयम पड़ी रहती है
उस के द्वारा गीले किये बिछौने पर
या गलती है हिम शिला सी
रोते हुए बच्चे को ममत्व का पय दे कर
और कभी कभी देती रहती है
नींद में बद्बदते पति यानि पुरुष के
प्रश्नों का उत्तर
क्योंकी उसे तो जागना ही है निरंतर
डॉ.वेद व्यथित

1 comment:

अमिताभ श्रीवास्तव said...

naari jaagati he..isiliye aaj jagat hei/ behad vicharniya rachna.