होली इस बार कृषक बंधुओं के लिए दुखद रूप से आई है क्योंकि मौसम कि मार किसान कि फसल पर बुरी तरह पड़ी है उन्हें के दुःख को साँझा करे हुए उन्ही को समर्पित एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं कैसे अबीर उड़ाऊँ
खड़ी फसल पर ओले पड गये
सरे सपने उस में गल गये
कान्हा जी भी हम से रूस गये
कैसे बिटिया का ब्याह रचाऊं। मैं कैसे ....
कर्ज महाजन का है सर पे
फसल बिना उतरे क्यों सर से
निगाह बड़ी तिरछी है उस कि
मैं कैसे कर्ज चुकाऊँ। मैं कैसे .......
फसल काटने का अवसर था
उमड़ घुमड़ बद्र सर पर था
सोच सोच कर जी मिचली था
चैट में कैसे मल्हार सुनाऊँ। मैं कैसे ……
बूढ़े मैया बापू दोनों
पड़े खाट टूटी पर दोनों
पैसा नही है पास बचा अब
मेंकैसे दवा दिलाऊं। मैं कैसे ..........
बहन देखती बात भाई की
भात भरेगा ब्याह भांजी
खाली हाथ बहन के घर पर
कैसे भात ले जाऊं। मैं कैसे ……
बेटा पढ़ने की जिद करता
भरी जवानी बूढा लगता
फसल हुई बर्बाद असमय
कैसे कालेज भिजवाऊं। मैं कैसे … …
गोरी के जो गाल लाल थे
पीले पड़ गये सब्जबाग थे
ऐसे मैं उस के गलों पर
कैसे गुलाल लगाऊं। मैं कैसे ......
डॉ वेद व्यथित
09868842688 .
1 comment:
कृषक भाइयों का दुख दूर हो।
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