Tuesday, April 10, 2012

हिम पर ही कुछ त्रि पदी


यह हिंदी में त्रि पदी नाम की नई विधा है आप को इस हिम पर ही कुछ त्रि पदी भेज रहा हूँ इस हम को समर्पित करते हुए

दिल बर्फ न बन जाये
इसे सुलगते रहना
ये सर्द न बन जाये |
ये बर्फ जमाये तो
सांसों को गर्म रखना
जब सर्द बनाये तो |
ये सर्द हवाएं हैं
ये प्यार के रिश्तों में
बस बर्फ जमाये हैं |
किस र को बताओगे
जो बर्फ सी यादें हैं
किस २ को सुनाओगे|
यादें कैसे भूलूँ
ये बर्फ सी जम जातीं
उन को कैसे भूलूँ |
ये केश हैं अम्मा के
ये बर्फ के जैसे हैं
बीते दिन अम्मा के |
डॉ. वेद व्यथित
09868842688

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

नये पद के पग तो गतिमय हैं।

SUGANA FOUNDATION-MEGHLASIYA by Santosh Rajpurohit said...

बढ़िया प्रस्तुति..
शुभकामनायें डॉ वेद व्यथित !

Sawai Singh Rajpurohit said...

सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक कृति