Tuesday, March 26, 2013

होलिका उत्सव की मैं सभी मित्रों को शुभकामनायें प्रदान करता हूँ । साथ ही भक्त प्रहलाद के सत्याग्रह का स्मरण भी करवान चाहता हूँ की किस प्रकार असत्य से छोटे से बालक ने संघर्ष किया वह  अनुकरणीय है ईश्वर स्मरण ही होलिका उत्सव का मुख्य उद्देश्य और महातम है परन्तु आज केवल बुराइयां ही उत्सव मनाने का केंद्र बिंदु बन गईं हिं क्या यही उत्सव की पवित्रिता  है नही है इस से यह पवन पर्व अपावन हो जायेगा इस लिए पवन पर्व को हम पावन रीति से सम्पन्न करने ।
 शुभकामनायों सहित 
वेद व्यथित 

'हम कलम ' साहित्यिक  व् सांस्कृतिक संस्था की इस मास की  गोष्ठी होलीका पर्व को समर्पित रही । होलिका  उत्सव के उल्लास में डॉ  मृदुला सिन्हा ने बिहार के लोक जीवन में रचे बसे लोक  गीत ' फागुन में बुढवा  देवर लगे ' गुनगुना कर वातावरण को उल्लसित कर  दिया । डॉ वेद  प्रताप वैदिक ने इस अवसर पर सभी उपस्थित साहित्यकारों को अपनी शुभकामनायें प्रदान की । डॉ रमा सिंह ने होली के गीत सुना  कर सब को भाव विभोर कर दिया । व्यंगकार निशा भार्गव  ने अपने चिर परिचित अंदाज में व्यंग पढ़े । डॉ वेद  व्यथित ने रीतिकाल और उत्तर आधुनिक कल के माध्यम से अपना व्यंग प्रस्तुत किया । डॉ सुनीति रावत ,डॉ अमरनाथ अमर ,क्रांति वत्स 'डॉ रश्मि मल्होत्रा डॉ अर्चना त्रिपाठी डॉ  प्रभा किरन  जैन , प्रतिभा जौहरी जनक  सचदेव प्रवेश धवन  आभा कुल श्रेठ  प्रवेश धवन     आदि की  गोष्ठी में सार्थक  उपस्थिति रही  । डॉ संतोष गोयल  गोष्ठी का सफल संचालन किया  । 
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