Saturday, March 31, 2012

भगवान श्री राम जी के चरणों में श्रद्धा पूर्वक निवेदन है

भगवान श्री राम जी के चरणों में श्रद्धा पूर्वक निवेदन है

किस ने देखा राम हृदय की घनीभूत पीड़ा को
कह भी जो न सके किसी से उस गहरी पीड़ा को
क्या ये सब करुणा के बदले मिली राम के मन को
आदर्शों पर चल कर ही तो पाया इस पीड़ा को ||

मन करता राम तुम्हारे दुःख का अंश चुरा लूं
पहले ही क्या कम दुःख झेले कैसे तुम्हे पुकारूँ
फिर भी तुम करुणा निधन ही बने हुए हो अब भी
पर उस करुणा में कैसे मैं अपने कष्ट मिला दूं ||

राम तुम्हारा हृदय लौह धातु से अधिक कठिन है
पिघल सका न किसी अग्नि से कैसी मणि कठिन है
आई होगी बाढ़ हृदय में ढरके होंगे आंसू
शायद आँख रुकी न होगी बेशक हृदय कठिन है ||

किस से कहते राम व्यथा जो मन में उन के गहरी
आदर्शों की कैसे कैसे विमल पताका फहरी
इस से ही तो राम राम हैं राम नही कोई दूजा
बाद उन्होंने के धर्म आत्मा और नही कोई उतरी ||

माता सीता के श्री चरणों में

दो सांसों के लिए जिन्दगी क्या क्या झेल गई थी
पर्वत से टकरा सीने पर क्या क्या झेल गई थी
पर जब आंसूं गिरे धरा उन से बोझिल डोली
वरना सीता जैसी देवी क्या क्या झेल गई थी ||

3 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत खूबसूरत....
भगवन के कष्टों का तो किसी ने सोचा ही नहीं.....

मन करता राम तुम्हारे दुःख का अंश चुरा लूं
पहले ही क्या कम दुःख झेले कैसे तुम्हे पुकारूँ
फिर भी तुम करुणा निधन ही बने हुए हो अब भी
पर उस करुणा में कैसे मैं अपने कष्ट मिला दूं ||

बहुत सुन्दर..

सादर
अनु

प्रवीण पाण्डेय said...

राम ने हर मर्यादा का निर्वाह बहुत ही शालीनता से किया, अद्भुत व्यक्तित्व।

Jeet said...

मर्यादा पुरुषोत्तम हर कौम, समाज और देश का आदर्श होने चाहिए.
एक ऐसे ईश्वर जिन्होंने जीवन को साधारण मनुष्य की तरह जीया. जिनकी राह पर चलना एक आदर्श है. राम अनुपम हैं.
जय श्री राम.