Friday, February 5, 2010

" मोमिजि के रंग "

' " मोमिजि के रंग "

'मोमिजिके रंग ' मेंसुपर्ण मोमिजि के रंग तो हैं ही साथ ही इस अद्भुत रचना में सप्त वर्णीय इन्द्रधनुषी छटा की दिव्यता का अद्भुत पुष्पाभरण है जिसेबहुभाषा विदुषी व प्रख्यात लेखिका डॉ. राज बुधिराजा एवं हिन्दी भाषा के प्रति श्रद्धान्वित व प्रेमानुरागी टोमोको किकुची व योशियो तकाकुराने भिन्न भिन्न पुष्पों से सुसज्जित व समन्वित कर के दिव्यता प्रदान की है इस में दो देश जापान व भारत की अद्भुत मैत्री है सौहार्द है सामंजस्य है प्रेम है स्नेह है और पवित्रता व दिव्यता है इस के साथ साथ इस में प्रकृति सुन्दरी की अनुपम छटा है इस चित्रं का पटल [कैनवस ]सम्पूर्ण पृथ्वी ग्रहहै जिस की इस अनुपम शोभा की अनुकृति को सम्पादक त्रय ने बड़े मनोयोग वत्सलता पूर्ण आत्मीय भाव व स्वांत:सुखाय के रूप में चित्रित किया है
भाषा द्वै के साहित्य में जो जो भी रत्न माणिक्य व मौतिक आदि सम्पादक त्रय को गहरे पैठ करही प्राप्त हुए हैं उन्हें अनथक श्रम पूर्वक इस कृति में अलंकृत किया है भारतीय संस्कृत भाषा साहित्य की प्रारम्भ काल की रचनाओं से ले कर अद्यतन हिन्दी रचनाओं तक एवं इसी प्रकार जापानी भाषा की प्राचीन रचनाओं से ले कर आज तक की सुंदर रचनाओं को मोमिजि के रंग में स्थान दिया है दोनों भाषों की रचनाओ में जो प्राकृतिक सौन्दर्यबोध है वह इन सुकोमल पत्रावलियों के माध्यम से इन रचनाओं में अद्भुत ढंग से उतर आया है और यहीअनुपम सौन्दर्य इस पुस्तक का वैशितय है
यह पुस्तक अपने आप में अलीक अदिव्तीय व असाधारण है क्यों की इतनी सारी सामग्री को एकत्र करना क्रमबद्धता प्रदान करना सहेजना और फिर उस का कुशल सम्पादन करना कोई हंसी खेल बात नही है यह बच्चों का खेल नही है उस के साथ साथ इस सामग्री का लिप्यांतर व भाषांतर करना अत्याधिक श्रम साध्य कार्य है जिस में सम्पादक त्रय ने अपनेज्ञान व कौशल के साथ साथ अपनी निष्ठां व लग्न का भी स्तुत्य परिचय दिया है सम्पादक त्रय का इस के लिए किन शब्दों में साधुवाद दिया जाये वह अनिर्वचनीय है और बड़ी बात तो यह रही कि इस श्रमसाध्य कार्य को याज्ञिक अनुभूति व इस के प्रति फल को यग्य शेष के रूप में स्वीकार कर ईश्वरके प्रति उन का समर्पण भाव उन का बडप्पन नही तो और क्या है जो सदा अनुकरणीय व स्मरणीय है मैं सम्पादक त्रय को साधुवाद व हार्दिक शुभकामनायें तथा बधाई देता हूँ
डॉ.वेद व्यथित
dr.vedvyathit@gmail.com

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