Saturday, January 9, 2010

साहित्य का इतिहास

हिंदी साहित्य को
शुक्लाचाचा ने
चार हिस्सों में बाँट दिया
बहुत मोटा पोथा बांध दिया
पहले पन्ने से शुरू करें तो
वर्षों लग जाएँ
आखरी पन्ने पर
पता नही कब पहुंच पायें
इस लिए साहित्य का इतिहास
बीच में से खोल लिया
बीचमें से मध्य युग यानि रीति काल
खुल गया
वह वह क्या बात थी
इस में तो नायिकाओं के
नख शिख वर्णन की भरमार थी
नायिका की नाक तोते जैसी थी
आँखे तो कईपशु पक्षियों से मिलती थी
उन कई आंके हिरनी,खंजन पक्षी
ओर मछलियों जैसी थी
कुछ अंग नारंगी ओर नीबू जैसे थे
तो कुछ अंग केले के खंबे जैसे थे
चल हथनी जैसी थी
दांत तो चलो गनीमत रही फूल जैसे थे
नही तो कहीं जंगल औरकहीं जंगल के जावर
नायिका यानि स्त्री क्या थी
पूरा चिड़िया घर थी
यह साहित्य के इतिहास का
मध्य युग था
परन्तु उत्तर आधुनिक युग से तो
फिर भी अच्छा था
इस में तो नारी पर अत्याचारों कई
लम्बी सूची है
नारी ही नारी कई दुश्मन पूरी है
वह वस्त्र हीना है ,नशेडी है विज्ञापन कई वस्तु है
वह तो चलो साहित्य का मध्य युग था
पर यहाँ तो आधुनिकता पूरी है

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