Friday, June 11, 2010

क्या अब भी नही सोचोगे
देश की वर्तमान व्यवस्था का सब से काला अध्याय देश के सामने उजागर हो चुका है किइकस तरह देश को राज नेता द्वारा बंधक बनाया जा सकता है कानून को किस तरह हाथ में लिया जा सकता है
देश को चलाने वाले आई ए एस अधिकारी किस तरह मंत्रियों के आधीन काम करते है किस तरह एंडरसन को भारत के गणतन्त्र में जनता को धोखा दे कर सुरक्षित बाहर निकला गया तो देश कीसुरक्षा की ही क्या गारंटी है
यह तो एक मामला उजागर हो गया जिस से हो हल्ला मच गया नही तो ऐसे कितने ही मामले रोज होते हैं
क्या इस से प्रश्न नही उठता किदेश कि वर्तमान व्यवस्था बदलनी चाहिए
बुद्धिजीवी होने का दम भरने वाले लोग आखिर क्या कर रहे है
दूसरे नम्बर पर क्या वे लोग भी कसूर वर नही हैं जो इन के पैरोकार बन कर इन के हित चिंतक बनते हैं वोट के समय देश व समाज को भूल कर छुद्र स्वार्थों के लिए ऐसे लोगो को वोट देते हैं
भोपाल जैसे गैस कांड में वे भी भागीदार है
क्या वे इस पाप कि भागीदारी से बच पाएंगे
और सब से बड़े भागीदार तो वे हैं जो इन का बचाव कर रहे हैं
कितने सारे प्रष हम सब के सामने उपस्थित हैं
क्या अब भी हम इन को नजरंदाज कर सकेंगे
दिल पर हाथ रख कर सोचो
शायद कोई निर्णय तो आप ले ही रहे होंगे
डॉ. वेद vyathit

6 comments:

दिलीप said...

sochne ko majboor karti lekhni....

... said...

सहमत

अंजना said...

सही कहा आप ने!!!

honesty project democracy said...

वेद प्रकाश जी आज लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता क्योकि हर व्यक्ति जान को हथेली पर रखकर नहीं चल सकता और जो नहीं चल सकता उसे आज देश और समाज में भ्रष्टाचारियों के आतंक के सामने झुकना पर रहा है या बुरी तरह टूटना पर रहा है ,दोष सिर्फ और सिर्फ जनता के पैसों से तनख्वाह पाने वाले मंर्त्री और प्रशासनिक अधिकारी का हैं जिनका आज मकसद लोगों को सत्य,न्याय और ईमानदारी से दूर कर अपना स्वार्थ सिद्धि है ,बस .....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

ye ek din desh ko bech bhee denge aur ham log bas nahas hee karte rah jaayenge ! apne Maun Singh ko hee dekh lo apne phaayade ke liye kaise Tatte choom rahaa hai !

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

वोट पाने का हकदार वही हो जो राष्ट्र स्वाभिमान को स्वयं से उंचा समझता हो. वर्तमान के किसी भी स्थापित पार्टी को वोट न दिया जाए.
पर ज्यादातर समझदार लोग भी मौसमी बरसात हो गए हैं. चुनाव के समय उन्ही भ्रष्टाचारियों की भीड़ में से एक को श्रेष्ठ बता कर वोट दे देंगे.

वक़्त की मांग है स्वयं राजनीति में दखल देना होगा.