आचार्य द्रोण की तप: स्थली गुरुग्राम (गुडगांवा )में हम कलम संस्था द्वारा आयोजित गोष्ठी में मूर्धन्य साहित्य कार डॉ. महीप सिंह जी का कहनी पाठ हुआ |डॉ. महीप सिंह जी ने इस अवसर पर अपनी देशांतर कहानी का पाठ किया |देशांतर कहानी अपने अंदर एक साथ बहुत सी दिशाओ को सम्पूर्णता से समेटते हुए प्रवाहमान हुई है |कहानी में राज नीति देश के प्रति निष्ठावान कार्यकर्ता का समर्पण भाव और अपने व्यक्ति हितों का त्याग करते हुए अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को देश के प्रति अर्पण करने के भाव की अद्वितीय अभिव्यक्ति हुई है | कहानी के मुख्य पात्र देवा जी देश के लिए अविवाहित रहते हुए स्वयं को सन्घठन के प्रति अर्पित कर देते हैं परन्तु मानवीय दुर्बलताएं उसे कभी भी कमजोर बना सकने में सक्षम होती है परन्तु उस के बाद भी देश भक्त कार्यकर्ता अपने व्यैक्तिक सुख को एक ओर रख कर देश सेवा के बड़े लक्ष्य की ओर समर्पित हो जाता है यही इस कहानी का निहितार्थ है |
कहानी के कथ्य व शिल्प पर तो कोई प्रश्न हो ही नही सकता क्योंकि डॉ. महीप सिंह जी सिद्ध हस्त व वयोवृद्ध लेखक हैं ही साथ ही आज कहानी जिस दौर से गुजर रही है कि उस मेंऊटपटांग दृश्यों की जरूर भरमार हो तो उस केस्थान पर डॉ. महीप सिंह जी नेसभी बात बड़े सहज व सुंदर ढंग से व्यक्त की हैं जिन में न तो कोई अनर्गल शब्दों ही आया है और न ही कोई अश्लील चित्र ही | उन्होंने कहानी में भी यह बात व्यक्त की है कि एक ; बारीक पर्दा कुछ बातों के मध्य रहना चाहिए नही तो वह बड़ा भयावह व घातक हो जाता है |
कहानी पर चर्चा में डॉ. शेर जंग गर्ग , डॉ. संतोष गोयल डॉ. वेद व्यथित डॉ. केदारनाथ शर्मा डॉ. सुनीति रावत श्रीमती चन्द्र कांता डॉ. सुदर्शन शर्मा डॉ. मोहन लाल सर डॉ. सविता उपाध्याय डॉ. पद्मा सचदेव आदि ने सहभागिता की | दूसरे सत्र में काव्य पाठ हुआ जिस में उपस्थित सभी साहित्य कारों ने काव्य पाठ किया |
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1 comment:
आपने सार्थक जानकारी दी इस के लिए आभार..!
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