यह हिंदी में त्रि पदी नाम की नई विधा है आप को इस हिम पर ही कुछ त्रि पदी भेज रहा हूँ इस हम को समर्पित करते हुए
दिल बर्फ न बन जाये
इसे सुलगते रहना
ये सर्द न बन जाये |
ये बर्फ जमाये तो
सांसों को गर्म रखना
जब सर्द बनाये तो |
ये सर्द हवाएं हैं
ये प्यार के रिश्तों में
बस बर्फ जमाये हैं |
किस र को बताओगे
जो बर्फ सी यादें हैं
किस २ को सुनाओगे|
यादें कैसे भूलूँ
ये बर्फ सी जम जातीं
उन को कैसे भूलूँ |
ये केश हैं अम्मा के
ये बर्फ के जैसे हैं
बीते दिन अम्मा के |
डॉ. वेद व्यथित
09868842688
3 comments:
नये पद के पग तो गतिमय हैं।
बढ़िया प्रस्तुति..
शुभकामनायें डॉ वेद व्यथित !
सुन्दर प्रस्तुति, सार्थक कृति
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