स्त्री
पुरुष यानि व्यक्ति
जो सो सकता है पैर फैला कर
सारी चिंताएँ हवाले कर
पत्नी यानि स्त्री के
और वह यानि स्त्री
जो रहती है निरंतर जागरूक
और और देखती रहतीहै
आगम कि कठोर
नजदीक आती परछाईं को
और सुनती रहती है
उस कि कर्कश पदचापों कि आहट
क्यों कि सोती नही है वह रात रात भर
कभी उडाती रहती है सर्दी में
बच्चों को अपनी ह्रदय अग्नि
और कभी चुप करती रहती है
बुखार में करते बच्चे को
या बदलती रहती है
छोटे बच्चे के गीले कपडे
और स्वयम पडी रहती है
उस केद्वारा गीले किये पर
या गलती है हिम शिला सी
रोते हुए बच्चे को ममत्व कापय दे कर
और कभी कभी देती रहती है
नींद में बडबदाते पीटीआई यानि पुरुष के
प्रश्नों का उत्तर
मैं क्यों कि उसे तो जागना ही निरंतर है
डॉ. वेद व्यथित
8 comments:
धारिणी का कार्य सतत करती है स्त्री...
यही है स्त्री जीवन
त्याग और ममता की पर्याय है-स्त्री।
शिक्षाप्रद और अनुकरणीय जीवन!
औरत की जीवनी को बहुत सरल शब्दों में लिख दिया आपने ......धारणी जो कभी भी खुद में तब तक पूर्ण नहीं हैं जब तक उसे अपनों का साथ नहीं मिलता हैं ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
करती है सब वो....मगर खुश होती है वो ऐसा करके...माँ जो है वो..
सुन्दर रचना..
सुन्दर अहसासों में भिंगोती रचना..
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