किसी घायल परिंदे को नजर अंदाज मत करना 
किसी की जिन्दगी से इस तरह खिलवाड़ मत करना |
कहीं कोई तुम्हें गम जिन्दगी का खुद सुनाये तो 
जरा  दिल से उसे सुनना ,कभी इंकार मत करना |
तुम्हें चाहे कोई देना कभी आँखों के दो  आँसू
उन्हें लेना वो स्वाति बूँद हैं इंकार मत करना |
कोई प्यासा कभी दो बूँद  पानी मांग ले तुम से 
उसे जी भर पला देना कभी इंकार  मत करना 
जहाँ भी शाम हो जाये यदि दे आसरा कोई 
उसे स्वीकार कर लेना कभी इंकार मत करना ||
2 comments:
निश्चय ही याद रहेगा...
बहुत सुन्दर गज़ल ,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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