करो तसल्ली लोक पल बिल हम ही तो बनवायेंगे
अपने मन से जैसा चाहे हम उस को बनवायेंगे
चाहे तुम कितने भी उस में संशोधन ले कर आना
पर मर्जी जो अपनी होगी उस को ही बनवायेंगे ||
साठ साल से करी तस्सली और साठ लग जायेंगे
कह तो दिया अभी हम ने हम भ्रष्टाचार मिटायेंगे
जब तक स्विस बैंक का पैसा इधर उधर न कर लेंगे
तब तक हम अपने पैरों पर नही कुल्हाड़ी खायेंगे ||
हम को दोष किस लिए देते हम तो हैं बिल ले आये
तुम ही उस में इतने २ संशोधन ले कर आये
अगर सभी संशोधन इस में पास यदि हम कर देते
फिर तो अगले दिन से हम को जेल के अंदर कर देते ||
यदि पास हो जायेगा ये लोक पल बिल संसद में
तब तो एक दरोगा आ कर पकड़ सकेगा संसद में
ऐसे लोक पाल की हड्डी गले नही फंसने देंगे
इस के टुकड़े २ कर के फेंकेंगे हम संसद में ||
कैसी बेशर्मी हैं ये वे दोष दूसरों को देते
उन की मंशा जग जाहिर है पर वे उस को क्यों कहते
इसी लिए कुछ भी कह कर वे खुद की खाल बचायेंगे
और दूसरों के माथे पर खूब दोष मढ़ जायेंगे||
3 comments:
सच्चाई व्यक्त करते शानदार मुक्तक्।
न जाने कितने भय नाचे हैं इसके सामने।
सुन्दर एवं सार्थक रचना!
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