मेरे अहम को ले कर
उठाये गये तुम्हारे प्रश्न
निश्चित ही सार्थक होंगे
परन्तु बचा ही कहाँ
मेरा अहम
जब तुम ने
निउत्त्र कर दिया मुझे
अपनी स्नेह सिक्त दृष्टि से
निश्चय ही तुमेह चुभे होंगे
मेरे कर्कश , कटुऔर कठोर शब्द
परन्तु रससिक्त कर दिया था तुमने मुझे
अपनी अमृत सी मधुर वाणी से
निश्चित ही मेरी नासिका
संकुचित हुई होगी
परन्तु मलय सिक्त कर दिया था तुमने
अपनी शीतल सुवास से
निश्चय ही मेरा रोम रोम
शूल सा रहा होगा तुम्हारे लिए
परन्तु रोमंचित हो गयाथा मैं
तुम्हारे सुकोमल स्पर्श से ई
उठाये गये तुम्हारे प्रश्न
निश्चित ही सार्थक होंगे
परन्तु बचा ही कहाँ
मेरा अहम
जब तुम ने
निउत्त्र कर दिया मुझे
अपनी स्नेह सिक्त दृष्टि से
निश्चय ही तुमेह चुभे होंगे
मेरे कर्कश , कटुऔर कठोर शब्द
परन्तु रससिक्त कर दिया था तुमने मुझे
अपनी अमृत सी मधुर वाणी से
निश्चित ही मेरी नासिका
संकुचित हुई होगी
परन्तु मलय सिक्त कर दिया था तुमने
अपनी शीतल सुवास से
निश्चय ही मेरा रोम रोम
शूल सा रहा होगा तुम्हारे लिए
परन्तु रोमंचित हो गयाथा मैं
तुम्हारे सुकोमल स्पर्श से ई
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