जिंदगी छू लिया तो एक सिरहन सी हुई
आँख भर देखा तो उस में एक तड़पन सी हुई
बस इसी के सहारे ये जिंदगी चलती रही
और एक पल में इसी से जिंदगी पूरी हुई।
जिंदगी अक्सर अक्सर हमारी पास रहती है कहाँ
सोचते हैं, जिंदगी, पर दूर रहती है कहाँ
हम इसी भटकाव में जीते हैं अक्सर जिंदगी
जिंदगी की मौज है रहती कहाँ है जिंदगी।
जिंदगी को देख लोगे तुम यदि नजदीक से
तब समझ आ जाये शायद जिंदगी यह ठीक से
पर इसे तुम फैंसला मत मान लेना आखिरी
दूर रहती जिंदगी है जिंदगी की सिख से।
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