अमर बलिदानी मोहन चंद शर्मा के बलिदान दिवस पर नम आँखों से श्रद्धांजली
मोहन चंद गये ही क्यों थे आतंकी से लड़ने को
भारत माता के चरणों में जीवन अर्पण करने को
ऐसे ऐसे प्रश्नों की यदि छूट मिलेगी शासन से
कौन चलेगा यहाँ देश हित जीवन अर्पण करने को ||
मेरी नही चिता पर मेले यहाँ कहीं लग पाएंगे
गोली सीने पर खाई है फिर भी जाँच बिठाएंगे
बेशर्मी की हद हो गई आतंकी सम्मानित हैं
अगर देश पर मर जाओगे तो भी प्रश्न उठाएंगे ||
बहुत २ सारे वादे तो किये चिता पर जायेंगे
पर जैसे ही चिता बुझेगी दिए भुला वे जायेंगे
फिर उन के पीछे पीछे फिरने में जूती टूटेगी
अमर शहीदों के घर वाले दर दर ठोकर खायेंगे ||
दर. वेद व्यथित
०९८६८८४२६८८
Monday, September 19, 2011
Thursday, September 8, 2011
ये सर्जना के क्षण तुम्ही को तो समर्पित हैं |
तुम्हीं को तो समर्पित हैं |
ये सर्जन के क्षण
नींद आँखों में लिए
पलकें न होती बंद
चित्र कितने आ रहे हैं
सामने क्रम बद्ध
चित्र भी हूँ तूलिका भी
मैं सर्जक भी हूँ
इस सर्जन के ही लिए
सब कुछ समर्पित है ||
मलय सी शीतल पवन
जो छो रही तन और मन
ये छुअन की चेतना
करती है हर्षित मन
हर्ष के क्षण मिले कितने
बहुत ही तो कम
ये सुखद से अल्प क्षण
तुम को समर्पित हैं
एक संदेशा जो आया
अर्थ गहरे हैं
उसी गहरे अर्थ के
अनुवाद कितने हैं
जो तुम्ही समझे
न कोई दूसरा समझा
लाख कोशिश रही
कुछ तो कहूँ तुम को
शब्द ही पर अर्थ को
पहचानते कब हैं
शब्द को पहचन लें
वे अर्थ कितने हैं
अर्थ जिन को मिल गये
वे शब्द अर्पित हैं ||
ये सर्जन के क्षण
नींद आँखों में लिए
पलकें न होती बंद
चित्र कितने आ रहे हैं
सामने क्रम बद्ध
चित्र भी हूँ तूलिका भी
मैं सर्जक भी हूँ
इस सर्जन के ही लिए
सब कुछ समर्पित है ||
मलय सी शीतल पवन
जो छो रही तन और मन
ये छुअन की चेतना
करती है हर्षित मन
हर्ष के क्षण मिले कितने
बहुत ही तो कम
ये सुखद से अल्प क्षण
तुम को समर्पित हैं
एक संदेशा जो आया
अर्थ गहरे हैं
उसी गहरे अर्थ के
अनुवाद कितने हैं
जो तुम्ही समझे
न कोई दूसरा समझा
लाख कोशिश रही
कुछ तो कहूँ तुम को
शब्द ही पर अर्थ को
पहचानते कब हैं
शब्द को पहचन लें
वे अर्थ कितने हैं
अर्थ जिन को मिल गये
वे शब्द अर्पित हैं ||
Subscribe to:
Posts (Atom)