Friday, March 4, 2011

वर्तमान

वर्तमान

नया उजागर हो रहा घोटाला हर रोज
फिर भी मुस्का कर वह देतें हैं हर पोज
शर्म नाम की चीज से उनका क्या सम्बन्ध
बेशर्मी से कर रहे सत्ता का वे भोग

लूट २ कर देश का धन रख आते विदेश
कंगला करने पर तुले ये गद्दार अनेक
क्यों कि उन को मिल गया लूट तन्त्र का राज
कैसे आगे चलेगा यहाँ राज और काज

बिका मिडिया कर रहा द्रोही के गुणगान
जितना जिस का धन मिला उतना उस का गान
रेट सभी के तय हुए यशोगान अनुसार
जिधर दिखी थाली परात उधर रात भर नाच

भगवा गली हो गई यह वैटिकन राग
जय चन्दों की देश में रही सदा भरमार
भारत वासी थक चुके सुन २ के ये बात
समय आगया है यहाँ युवा शक्ति अब जाग

कब तक ऐसीं चलेंगी दिग्गी जैसी चाल
गिरे हुए जमीर के लोगों की भरमार
बस मैडम को खुश करें चाहे जो हो जाय
देश धर्म से क्या उन्हें देश भाड़ में जाय

2 comments:

vandana gupta said...

कटु सत्य उजागर किया है।

श्रद्धा जैन said...

bahut tekhe kataksh hai.. bahut achchi abhivaykti