Saturday, March 13, 2010

इस्लाम में औरत

अबतो इस्लाम की असलियत सब के सामने आ गई है महिलाओं के साथ वहाँ कितना भेद भाव है इस्लामी धर्म गुरुओं के अनुसार वे केवल बच्चे पैदा करें राजनीति करने का एक मात्र अधिकार तो बस मर्दों का है क्या यही आज की सोच है
इस के बावजूद अब कोई महिला अधिकारवादी या तथा कथित मानवता वादी जो हिन्दू धर्म की हर बात पर तूफान उठाये रहते हैं वे अब कोई मोर्च निकलना तो दूर इस बात पर तो नींद की गोली कहा कर सो गये होंगे या कहीं गहरे बिलों में छुप गये होंगे इसी तरह वाम पंथी भी अब अपना मुंह सिल चुकेंगे अब नतो कोई विरोध होगा और न ही नारे बजी होगी मिडिया भी उन के आगे मिमियायेगा क्या एक सभी समाज की यही पहचान है यही या ऐसी बातें ही तो समाज में खाई पैदा कर रही है और कट्टर पंथियों का शिकार भी समाज धर्म के नाम पर हो रहा है
आखिर नै पीढ़ी भी तो उसी स्वर में स्वर मिला रही है उस में भी कुछ कहने की हिम्मत नही है आखिर क्या होगा इस देश का और इन महिलाओं का
अब मुस्लिम महिलाओं की पैरो करी करने वालों को भी डूब मरने के लिए चुल्लू भर पानी भी नही मिल रहा होगाजो संसद को सिर पर उठाये हुए थे
आखिर हम और कब सोचेंगे हम और किस वक्त का इतजार कर रहे हैं अब तो जग जाओ
डॉ. वेद व्यथित