tag:blogger.com,1999:blog-2798355483535153847.post1652635234388259848..comments2023-10-14T01:12:44.504-07:00Comments on साहित्य सर्जक: त्रि पदीvedvyathithttp://www.blogger.com/profile/02253588002622732897noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-2798355483535153847.post-65585169206834320292011-05-18T11:55:24.981-07:002011-05-18T11:55:24.981-07:00सुन्दर....
पर आप इस बारे में थोडा विस्तार से बताएं...सुन्दर....<br />पर आप इस बारे में थोडा विस्तार से बताएं....हम जैसों की समझ में एक बार में नहीं आता है ये सब.<br />क्या ये हाइकू से प्रेरित नहीं है....इधर हिंदी काव्य में नए-नए प्रयोग होने लगे हैं....कभी त्रिपदी के नाम पर कभी त्रिवेणी के नाम पर....अब लगता है हमने भी कुछ करना पाएगा (सिर्फ पढना ही पड़ेगा)<br />एक बार पुनः सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई.<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2798355483535153847.post-87233429094056581322011-05-18T09:31:00.963-07:002011-05-18T09:31:00.963-07:00मुझे तो त्रिपदी हाइकू से ज्यादा बेहतर लगी। बस एक ...मुझे तो त्रिपदी हाइकू से ज्यादा बेहतर लगी। बस एक ही अवलोकन है कि एक बार में चार से ज्यादा रचनाएं न दें। क्योंकि त्रिपदी यानी तीन पंक्तियों में बहुत गहरी बात समाई होती है, उन्हें आत्मसात करने के लिए समय मिलना चाहिए। अधिक रचनाएं होने से पाठक के पास यह समय नहीं होता है कि वह किसे याद रखे।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2798355483535153847.post-44858941597798539922011-05-16T01:10:41.047-07:002011-05-16T01:10:41.047-07:00अच्छी लगी त्रि-पदी।अच्छी लगी त्रि-पदी।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2798355483535153847.post-68005902088969943162011-05-15T08:21:02.964-07:002011-05-15T08:21:02.964-07:00हाइकू में बहुत कुछ कहने की क्षमता होती है, पढ़कर स...हाइकू में बहुत कुछ कहने की क्षमता होती है, पढ़कर सोचने का मन करता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com