Friday, June 10, 2011

मेरे घाव यूँ न छेड़ो

मुझे नींद आ रही है मेरे घाव यूँ न छेड़ो
सपने न टूट जाएँ मेरी नींद यूँ न छेड़ो |
बरसात कब हुई है मुरझा रहीं हैं कलियाँ
गाओ न गीत भीगा मल्हार यूँ न छेड़ो |
दिल में कसक हुई है कुछ टीस सी हुई है
इस टीस को न पूछो इस दिल को यूँ न छेड़ो |
भीगे हैं पत्ते कलियाँ मन भीग २ जाता
आँखों में जो हैं सपने वे स्वप्न यूँ न छेड़ो |
मेरे मन की बात छोडो क्या बोलना है बोलो
मेरे मन में क्या बसा है मेरे मन को यूँ न छेड़ो |
जो भी कहा है तुम से तुम ने कभी न माना
मुझ को यही है शिकवा वो बात यूँ न छेड़ो |
जब २ भी धूप आई साया मिला न कोई
अब धूप भा गई है ये धूप यूँ न छेड़ो ||

Wednesday, June 1, 2011

जरूरी है

जरूरी है सभी दुर्गन्ध हटा दी जाये
कूढा है जहाँ आग लगा दी जाये
थोडा नुकसान सही ये तो सहना होगा
जरू री है बहुत दुनिया संवारी जाये ||

दुनिया को यह बात बता दी जाये
लगनी है जहाँ आग लगा दी जाये
बहुत शूल उपज आये हैं सभी राहों में
अब फूलों की वहाँ पौध लगा दी जाये ||

प्यार से पत्थर भी पिघल जायेगा
चट्टान तो क्या आसमां हिल जायेगा
प्यार की ताकत को जरा पहचानो
प्यार से अमृत सा बरस जायेगा ||

प्यार कोई धूल नही जो यूं ही उड़ा दी जाये
प्यार कोई फूल नही जो भेंट चढ़ा दी जाये
प्यार अनमोल है कीमत ही नही इस की
ये कोई वस्तु नही जिस की बोली लगा दी जाये ||