Tuesday, September 1, 2009

मुक्तक

बड़ी २ बातें क्यूँ करते रहते लोग यहाँ पर
करते कुछ है कहते कुछ है ऐसे लोग यहाँ पर
वे ही अगुआ वे ही नेता वे ही बड़े लोग हैं
वे ही भाषण देते सब को ऐसे लोग यहाँ पर

नेताओं के तो जबान पर ताले लगे रहेंगे
पहन के माला मंच पे आकर केवल भाषण देंगे
पर जब आएगी बारी वे मेरे हक़ में बोलें
फ़िर वे अपने हाथ पाँव सब ऊपर को कर देंगे

जीवन की सचाई मुझ से छुट नही पाई है
इसी लिए पीडा की बदली हर दिन घिर आई है
बेशक भीगा हूँ पर ख़ुद को इस से अलग किया है
जीवन की सच्चाई शायद यही समझ आई है

1 comment:

Dr. kavita 'kiran' (poetess) said...

जीवन की सचाई मुझ से छुट नही पाई है
इसी लिए पीडा की बदली हर दिन घिर आई है
बेशक भीगा हूँ पर ख़ुद को इस से अलग किया है
जीवन की सच्चाई शायद यही समझ आई है
bahut achhi kavitayen likhte hain aap.badhai.